- SC ने उन्नाव रेप मामले में कुलदीप सेंगर की रिहाई पर रोक लगाई. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त किया
- कोर्ट ने सीबीआई की अपील पर सेंगर को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा, जिससे न्याय की उम्मीद बढ़ी.
- पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सेंगर को फांसी की सजा देने की मांग दोहराई है.
Unnao Rape Case Supreme Court: उन्नाव रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने साफ कर दिया कि आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को रिहा नहीं किया जाएगा. साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी गई है, जिसमें सेंगर की उम्रकैद की सजा को सस्पेंड किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील पर सेंगर को नोटिस जारी किया और चार हफ्ते में जवाब मांगा है. यह फैसला पीड़िता और उसके परिवार के लिए न्याय की उम्मीद को फिर से मजबूत करता है.
पीड़िता की प्रतिक्रिया: “सेंगर को फांसी हो”
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रेप पीड़िता ने कहा कि हम लड़ाई जारी रखेंगे. हम चाहते हैं कि कुलदीप सेंगर को फांसी की सजा मिले. पीड़िता का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि देश की हर बेटी के लिए है.
परिवार का दर्द: धमकियों का सिलसिला जारी
पीड़िता की बहन ने NDTV से बात करते हुए कहा कि जब हमें पता चला कि आरोपी को बेल मिल गई है, तब से हमारे मन में डर बैठ गया कि वह हमारे पूरे परिवार को खत्म कर देगा. हमारे पापा का कत्ल करने वाले लोग अभी भी बाहर हैं. वे हमारे चाचा को चिरकुट कहते हैं और धमकी देते हैं कि केस वापस लो, नहीं तो पूरे परिवार को खत्म कर देंगे. ये कहते हुए पीड़िता की बहन भावुक हो गई.
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पूरा न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा
बहन ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल बेल पर स्टे लगा दिया है. हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा है कि न्याय मिलेगा. मेरी मम्मी बीमार हैं और हमारी हालत बहुत खराब है. हम किसी भी हाल में पीछे नहीं हटेंगे. पूरा न्याय मिलने तक संघर्ष करेंगे.
सीबीआई की दलील
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हाई कोर्ट ने गलती की है. POCSO कानून के तहत जब अपराध किसी पब्लिक सर्वेंट द्वारा किया जाता है, तो सजा और गंभीर हो जाती है. सेंगर उस समय विधायक था, इसलिए उसे सरकारी कर्मचारी माना जाना चाहिए. ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को “बियॉन्ड रिसनेबल डाउट” के आधार पर दोषी ठहराया था. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट के फैसले को पलटने की मांग की थी.
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