कैलाश विजयर्गीय का अनोखा रिकॉर्ड ! उमा, बाबूलाल गौर और शिवराज के बाद मोहन मंत्रिमंडल में शामिल

मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर-1 से विघायक कैलाश विजयवर्गीय भी मंत्री बनाए गए हैं. नए मंत्रिमंडल में वे एकमात्र विधायक हैं जो इससे पहले तीन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में भी मंत्री रह चुके हैं. वे राज्य में 12 सालों तक अलग-अलग विभाग में मंत्री रहे हैं.

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mp cabinet expansion: मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर-1 से विघायक कैलाश विजयवर्गीय भी मंत्री बनाए गए हैं. नए मंत्रिमंडल में वे एकमात्र विधायक हैं जो इससे पहले तीन मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में भी मंत्री रह चुके हैं. वे राज्य में 12 सालों तक अलग-अलग विभाग में मंत्री रहे हैं. कैलाश विजयवर्गीय के साथ खास बात ये है कि उन्होंने 7 बार विधानसभा चुनाव लड़ा है और एक भी चुनाव नहीं हारे हैं...ये अपने-आप में रिकॉर्ड है. इसके अलावा वे मंत्री रहें या न रहें चर्चा में हमेशा ही रहते हैं. मौजूदा चुनाव में वे भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे.

उमा, बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार में रहे मंत्री

वैसे तो कैलाश विजयवर्गीय ने 1990 में ही पहला चुनाव जीता था लेकिन वे मंत्री बने उमा भारती के नेतृत्व वाली सरकार में. उन्हें तब लोक निर्माण विभाग जैसा अहम मंत्रालय मिला था. जहां उन्होंने जमकर काम किया और लंबे अरसे तक इस विभाग के मंत्री रहे.

इसके बाद वे बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार में भी अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभालते रहे, हालांकि 2018 में उन्होंने खुद को प्रदेश की सियासत से अलग कर लिया. इसके बाद वे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो गए. जिसके बाद उनके बेटे आकाश को इंदौर-3 से टिकट दिया गया. कैलाश के प्रभाव की वजह से आकाश भी विधायक बनने में सफल रहे.

देखा जाए तो सियासत के लिहाज से मुख्यमंत्री मोहन यादव से वे काफी सीनियर हैं. 

1983 में पार्षद से शुरू हुआ सफर

कैलाश विजयवर्गीय ने साल 1975 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जरिए सियासत में इंट्री ली थी. इसके बाद वे 1983 में इंदौर नगर निगम के पार्षद बने. इसके कुछ ही दिनों बाद वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राज्य सचिव भी बना दिए गए. इसके बाद उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव 1990 में लड़ा. तब वे इंदौर-4 से चुनावी मैदान में थे. तब उनके सामने कांग्रेस के इकबाल खान थे। कैलाश विजयवर्गीय को इस चुनाव में 48 हजार 413 वोट मिले थे, जबकि इकबाल खान को 22 हजार 811 वोट ही मिले. इस तरह विजयवर्गीय ने 25 हजार 602 वोटों से चुनाव जीता था. इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद कैलाश विजवर्गीय ने  1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज की. अहम ये है कि इस दौरान उन्होंने चार विधानसभाओं इंदौर-4, इंदौर-2, महू और अब इंदौर-1 से चुनाव लड़ा है. 

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