सभी धर्मों में शादी (Marriage) और तलाक (Divorce) के लिए समान कानून (Uniform law) बनाने की याचिका का आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Law Board) ने विरोध किया है. बोर्ड ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है. बोर्ड ने कहा है कि ये पर्सनल लॉ का मामला है. सुप्रीम कोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि सभी धर्मों में शादी और तलाक के लिए एक ही कानून होना चाहिए.
फिलहाल हर धर्म में शादी के लिए अलग नियम और कानून है जो कि पर्सनल लॉ पर आधारित है. लेकिन एक देश में एक ही कानून होना चाहिए. अभी ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिस पर कोर्ट ने सरकार से उसका पक्ष पूछा है. अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इस मामले में पक्षकार बनना चाहता है.
बोर्ड ने अपनी अर्जी में कहा है कि पर्सनल लॉ का सम्मान होना चाहिए. हिंदुओं में भी अलग-अलग नियम कानून से विवाह होते हैं.