समान नागरिक संहिता हमारे एजेंडे का हिस्सा : कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि जहां भी रिक्तियां हैं, चाहे वह सुप्रीम कोर्ट हो, हाईकेार्ट हो या हमारा मंत्रालय या अधीनस्थ अदालतें हों, हम उन्हें जल्द से जल्द भरने का प्रयास करेंगे.

Advertisement
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

केंद्रीय कानून मंत्री (Law Minister) अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) ने मंगलवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करना सरकार के एजेंडे का हिस्सा है. उन्होंने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण से संबंधित प्रक्रिया ज्ञापन के मुद्दे पर एक समाधान खोजा जाएगा, जिसे अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. मेघवाल ने इस बात से भी इनकार किया कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच टकराव है. उन्होंने मंगलवार को विधि और न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में कार्यभार संभाला. पिछली मोदी सरकार में भी उनके पास यही विभाग था. 

मेघवाल ने अपने मंत्रालय में प्रमुख रिक्तियों पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘जहां भी रिक्तियां हैं, चाहे वह उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय या हमारा मंत्रालय या अधीनस्थ अदालतें हों, हम उन्हें जल्द से जल्द भरने का प्रयास करेंगे.''

लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ कराने के मुद्दे पर मेघवाल 

देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘‘पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंंद की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और हम इसके बारे में बाद में जानकारी देंगे.''

Advertisement

उन्होंने कहा कि विधि आयोग भी इस विषय पर काम कर रहा है. 

इससे पहले कि आयोग अपनी रिपोर्ट पेश कर पाता, इसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी सदस्य के रूप में लोकपाल में चले गए. 

Advertisement

समान नागरिक संहिता से संबंधित एक सवाल के जवाब में मेघवाल ने कहा कि यह सरकार के एजेंडे का हिस्सा है. 

Advertisement

उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता सत्तारूढ़ भाजपा के उत्तरोत्तर घोषणापत्रों का हिस्सा बनी हुई है. 

प्रक्रिया ज्ञापन पर एक प्रश्न के उत्तर में मेघवाल ने कहा कि यह लंबित है और सरकार ने इस पर उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम को लिखा है. उन्होंने कहा, ''मुझे विश्वास है कि हम इसका समाधान जरूर निकाल लेंगे.''

Advertisement

उच्च न्यायपालिका में रिक्तियों और लंबित मामलों का समाधान तथा प्रक्रिया ज्ञापन को अंतिम रूप देना मेघवाल के सामने प्रमुख चुनौतियां हैं.

अदालतों में 5 करोड़ से ज्‍यादा मामले लंबित 

सरकार द्वारा संसद के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, निचली अदालतों, 25 उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में पांच करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं. 

बढ़ते लंबित मामलों के कई कारण हैं, लेकिन प्रमुख कारणों में से एक न्यायपालिका में रिक्तियां हैं. 

गत एक जून तक जहां शीर्ष अदालत में दो पद रिक्त थे, वहीं उच्च न्यायालयों में 345 न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं. 

मेघवाल के समक्ष एक अन्य प्रमुख मुद्दा प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) को अंतिम रूप देने का है. 

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली की जगह अधिक पारदर्शी नियुक्ति तंत्र लाने के प्रयास में सरकार ने संविधान (99वां संशोधन) अधिनियम, 2014 और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 लेकर आई थी. नया कानून संसद द्वारा लगभग सर्वसम्मति से पारित किया गया था. 

हालांकि दोनों अधिनियमों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई, जिसने अक्टूबर, 2015 में अधिनियमों को असंवैधानिक और अमान्य घोषित कर दिया. 

ये भी पढ़ें :

* नए मंत्रियों में 99 प्रतिशत करोड़पति, औसत संपत्ति 107 करोड़ रुपये: एडीआर
* देश के सबसे बड़े फैसले लेती है CCS, जानें मोदी के ये चार मंत्री क्यों हैं सबसे पावरफुल
* वर्ल्ड बैंक ने दी गुड न्यूज, बुलेट की स्पीड से बढ़ती रहेगी भारत की अर्थव्यवस्था

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
West Bengal Flood: Mamata Banerjee के गुस्से ने कहां पर लगा दिया 18 किलोमीटर लंबा जाम?
Topics mentioned in this article