"अविस्मरणीय काल, संवैधानिक मूल्यों के बिल्कुल विपरीत...": आपातकाल की बरसी पर PM मोदी

25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की गई थी और उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. आपातकाल को 21 मार्च 1977 को हटा लिया गया था.

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आपातकाल इतिहास का वह कालखंड, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता : प्रधानमंत्री मोदी
नई दिल्‍ली:

1975 में तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल की 48वीं वर्षगांठ को चिह्नित करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी कैबिनेट और पार्टी के कई वरिष्ठ सहयोगियों ने आज उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने "आपातकाल के काले दिनों" का विरोध किया था. पीएम नरेन्द्र मोदी ने रविवार को आपातकाल की बरसी पर कहा कि यह भारतीय इतिहास का वह कालखंड है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है.

पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा, "मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया. आपातकाल के काले दिन हमारे इतिहास का वह कालखंड हैं, जिसे भुलाया नहीं जा सकता है. यह हमारे संवैधानिक मूल्यों के बिल्कुल विपरीत था.”

पीएम मोदी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने भी एक पोस्टर ट्वीट किया, जिसमें इंदिरा गांधी के चेहरे के साथ 'भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय' लिखा हुआ है.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने हैशटैग #DarkDaysOfEmergency के साथ पांच मिनट का एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें आपातकाल की घटनाओं और उस अवधि के दौरान कांग्रेस सरकार द्वारा कथित क्रूरताओं का वर्णन किया गया है. ट्वीट में कहा गया, "प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया गया और न्यायपालिका के हाथ काट दिए गए." वीडियो में उस समय के क्लिप शामिल हैं, जिसमें एक भावुक वर्णन किया गया है.

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राजनाथ सिंह, किरेन रिजिजू, प्रल्हाद जोशी, नितिन गडकरी, पूर्व मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सहित कई अन्य मंत्रियों ने "लोकतंत्र के लिए काले दिनों" की निंदा की है.

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बता दें कि 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की गई थी और उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. आपातकाल को 21 मार्च 1977 को हटा लिया गया था.

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