पीएम मोदी के जन्मदिन पर बेरोज़गार युवा मनाएंगे 'जुमला' दिवस, बैंककर्मी भी होंगे प्रदर्शन में शामिल

‘युवा हल्ला बोल’ के महासचिव प्रशांत कमल ने बताया कि संगठन के हेल्पलाइन पर छात्र युवा लगातार संपर्क करके अपनी व्यथा और पीड़ा साझा कर रहे हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

देश में बेरोजगारी को मुद्दा बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले युवा नेता अनुपम ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस 17 सितंबर के लिए बड़ा ऐलान किया है. 'युवा हल्ला बोल' संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन जुमलों और बेरोज़गारी को समर्पित होगा. मालूम हो कि पिछले वर्ष भी अनुपम की अपील पर 17 सितंबर को जुमला दिवस एवं बेरोज़गार दिवस मनाया गया जो काफी चर्चा में भी रहा था. 'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय प्रवक्ता ऋषव रंजन ने बताया कि बेरोज़गार युवाओं में इस अपील को लेकर उत्साह है और पिछले वर्ष की तरह इस बार भी 17 सितंबर को यादगार बना देने का जुनून है. हमारी कोशिश है कि प्रधानमंत्री, सरकार से लेकर राजनीतिक पार्टियां और मीडिया तक का ध्यान बेरोज़गारी के गंभीर मुद्दे पर लाया जाए.

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उल्लेखनीय है कि 'युवा हल्ला बोल' ने पढ़ाई-कमाई-दवाई के नारे पर देश भर में मुहिम छेड़ रखी है. आंदोलन के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा ने बताया कि 'युवा हल्ला बोल' की कोशिश है कि राजनीतिक पार्टियां भी चुनावों के दौरान इन्हीं मुद्दों पर सवाल जवाब और संवाद करे, न कि समाज को बांटने वाले जाति धर्म के मुद्दों पर. इसी के तहत आने वाले समय में उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए भी युवाओं के अभियान की तैयारी चल रही है.

‘युवा हल्ला बोल' के महासचिव प्रशांत कमल ने बताया कि संगठन के हेल्पलाइन पर छात्र युवा लगातार संपर्क करके अपनी व्यथा और पीड़ा साझा कर रहे हैं. कई तरह की सरकारी भर्तियां हैं जिनमें या तो विज्ञापन नहीं निकलता, या परीक्षा नहीं होती, या धांधली गड़बड़ी हो जाती है, या परिणाम नहीं निकलता या फिर समय पर नियुक्ति नहीं मिलती. लेकिन अफसोस कि बात है कि सरकार इन प्रक्रियायों को सुधारने के प्रति गंभीर नहीं है. उल्टा रोज़गार के अवसरों में कटौती करने की लगातार कोशिशें हो रही हैं.

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 ज्ञात हो कि पिछले कुछ महीनों से राष्ट्रीय संपत्ति बेचे जाने के खिलाफ युवा हल्ला बोल 'हम देश नहीं बिकने देंगे' अभियान चला रहा है. PSUs, रेल, हाईवे और निजीकरण की नीतियों के वजह से बैंक कर्मी, कुली यूनियन के नेता और ऐसे तमाम लोग जो इससे पीड़ित हैं वे सभी इस आंदोलन में शामिल हैं.

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बैंक यूनियन के वरिष्ठ नेता सुनील कुमार का कहना है कि सरकारी बैंक ग्रामीण भारत की रीढ़ है. उसे बेचना देश की रीढ़ को तोड़ने के बराबर होगा. वहीं कुली यूनियन के नेता राम सुरेश करीब एक साल से निजीकरण के इस नीति के खिलाफ देशभर में स्टेशनों पर विरोध कर रहे हैं..

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