जरा भारत से सीखिए... 'सबका साथ, सबका विकास' का दुनिया में डंका

यूएनडीपी के शीर्ष अधिकारी हाओलियांग शू ने कहा,भारत की कहानी केवल विकास की नहीं है, यह प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और सहभागी शासन की भी कहानी है. भारत के विकास मॉडल से सीखे गए सबक एक अधिक समतापूर्ण और सतत विश्व का निर्माण कर रहे हैं.

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भारत ‘ग्लोबल साउथ’ की अग्रणी आवाज है, उसकी सफलता की कहानियों से दुनिया सीख सकती है : यूएनडीपी शीर्ष अधिकारी
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  • भारत आर्थिक रूप से सुदृढ़, जलवायु के प्रति जिम्मेदार नजरिए से विकास पथ को आकार दे रहा: यूएनडीपी
  • अधिकारी ने कहा भारत के विकास मॉडल से सीखे गए सबक एक अधिक समतापूर्ण और सतत विश्व का निर्माण कर रहे हैं.
  • अधिकारी ने कहा भारत की कहानी केवल विकास की नहीं है, यह प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और सहभागी शासन की भी कहानी है.
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संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत ने दिखाया है कि आर्थिक वृद्धि और सामाजिक समावेशन एक साथ संभव हैं तथा वह अपनी सफलता की कहानियों से ऐसे उदाहरण पेश कर रहा है जो अधिक न्यायसंगत दुनिया के निर्माण में सहायक हैं. यूएनडीपी के कार्यवाहक प्रशासक हाओलियांग शू ने कहा कि भारत की विकास की गाथा केवल आर्थिक प्रगति के बारे में नहीं है बल्कि यह प्रौद्योगिकी एवं सहभागी शासन के इस्तेमाल से यह सुनिश्चित करने की भी कहानी है कि विकास के उद्देश्य प्राप्त हों और कोई भी पीछे न छूटे.

शू ने ‘पीटीआई-भाषा' के साथ साक्षात्कार में कहा कि जलवायु अनुकूलन, नवीकरणीय ऊर्जा और समावेशी डिजिटल वित्त के प्रति भारत की प्रतिबद्धता, विकास और निरंतरता के बीच संतुलन बनाने का एक खाका प्रस्तुत करती है. उन्होंने कहा कि भारत ऐसे ''विकास पथ'' तैयार कर रहा है जो आर्थिक रूप से सुदृढ़ और जलवायु के अनुकूल हैं.

संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव और यूएनडीपी के कार्यकारी प्रशासक शू डिजिटल परिवर्तन और जलवायु के अनुकूल कदमों सहित सहयोग के नए क्षेत्रों को मजबूत करने और उनकी पहचान करने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आए हैं.

शू ने वैश्विक चुनौतियों के बारे में बात करते हुए कहा कि यूएनडीपी के हालिया मानव विकास सूचकांक से पता चलता है कि मानव विकास में वैश्विक प्रगति 35 वर्षों के निम्नतम स्तर पर आ गई है तथा पिछले दो वर्ष से यह लगभग स्थिर बनी हुई है.

भारत के प्रमुख कार्यक्रमों की तारीफ की

यूएनडीपी प्रमुख ने कहा कि भारत ने दिखाया है कि तीव्र विकास को लोगों, विशेषकर ऐतिहासिक रूप से पिछड़े लोगों में सोच-समझकर किए गए निवेश से जोड़ा जा सकता है. शू ने विशेष रूप से भारत के प्रमुख कार्यक्रमों जैसे मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) और आयुष्मान भारत का उल्लेख किया और कहा कि ये कार्यक्रम आजीविका सुरक्षा को सामाजिक सुरक्षा के साथ जोड़ते हैं.

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