"UN मज़ाक बन गया है": 'कैलासा' के प्रतिनिधि के CESCR मीटिंग में शामिल होने पर भड़के लोग

विजयप्रिया नित्यानंद ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर यूएन की बैठक से जुड़ी तस्वीरें पोस्ट की थी. उन्होंने बैठक में कहा कि नित्यानंद को दुनिया भर में सताया जा रहा है. उन्होंने "हिंदू धर्म के सर्वोच्च पुजारी" के लिए सुरक्षा की मांग की.

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विजयप्रिया नित्यानंद ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर यूएन की बैठक से जुड़ी तस्वीरें पोस्ट की थी.
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  • दुष्कर्म का आरोपी नित्यानंद 2019 में भारत से भाग गया था.
  • इक्वाडोर में जमीन खरीदकर नित्यानंद ने बनाया है 'कैलासा'
  • UN ने यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा को नहीं दी है देश की मान्यता.
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नई दिल्ली:

विवादास्पद भगोड़े नित्यानंद ( Nithyananda) के देश 'कैलासा' (Kailasa) के प्रतिनिधि ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की अहम बैठक में शामिल होकर दुनिया को चौंका दिया. 24 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की समिति (CESCR) में विजयप्रिया नित्यानंद नाम की एक महिला ने 'स्थायी राजदूत' के रूप में 'कैलासा' का प्रतिनिधित्व किया था. इस बैठक में सभी महिला प्रतिनिधिमंडल ने "निर्णय लेने वाली प्रणालियों में महिलाओं के समान और समावेशी प्रतिनिधित्व" पर चर्चा में भाग लिया और सोशल मीडिया पर तस्वीरें भी पोस्ट कीं.

विजयप्रिया नित्यानंद ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर यूएन की बैठक से जुड़ी तस्वीरें पोस्ट की थी. उन्होंने बैठक में कहा कि नित्यानंद को दुनिया भर में सताया जा रहा है. उन्होंने "हिंदू धर्म के सर्वोच्च पुजारी" के लिए सुरक्षा की मांग की. इस घटना के वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

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सवाल ये है कि जिस शख्स पर भारत में रेप, दुष्कर्म और हत्या के तमाम मामले दर्ज हो, उसका प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र की बैठक में कैसे आ सकता है? संयुक्त राष्ट्र की हाई-प्रोफाइल मीटिंग में आखिर नित्यानंद की प्रतिनिधि को शामिल होने की अनुमति कैसे मिली? इसे समझने के लिए पहले हमें यूएन के नियमों को समझना होगा...

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CESCR की वेबसाइट के मुताबिक, 18 स्वतंत्र विशेषज्ञों का एक निकाय सदस्य देशों की पार्टियों द्वारा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध के कार्यान्वयन की निगरानी करता है.

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संयुक्त राष्ट्र निकाय का नियम है कि सभी सदस्य देशों को आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों को कैसे लागू किया जा रहा है, इस पर समिति को नियमित रिपोर्ट देनी होगी. अगर किसी सदस्य राज्य, संगठन या यहां तक ​​कि एक व्यक्ति को भी लगता है कि अनुबंध के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है, तो वे सीईएससीआर से संपर्क कर सकते हैं. इसी नियम के तहत 'यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा' के प्रतिनिधि यूएन कमेटी के पास पहुंचे और चर्चा में शामिल हुए. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त 193 देशों में 'यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा' शामिल नहीं है.

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वैकल्पिक रूप से CESCR कुछ परिस्थितियों में किसी भी आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के गंभीर या व्यवस्थित नियमों के उल्लंघन पर पूछताछ कर सकती है. साथ ही अंतर-राज्यीय शिकायतों पर विचार कर सकती है. मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त का कार्यालय उन तंत्रों का उल्लेख करता है, जिनके तहत मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकती है. उन्हें दो श्रेणियों में बांटा गया है: संधि-आधारित और चार्टर-आधारित. CESCR संधि-आधारित तंत्र के अंतर्गत आता है.

24 फरवरी को चर्चा से पहले संयुक्त राष्ट्र समिति की वेबसाइट पर लोगों और संगठनों के लिए अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए एक लिंक दिया गया था. 'कैसला' के प्रतिनिधि विजयप्रिया नित्यानंद ने इस प्रावधान का इस्तेमाल किया और संयुक्त राष्ट्र के निकाय से पूछा कि स्वयंभू संत के उत्पीड़न को रोकने के लिए 'राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर' पर क्या उपाय किए जा सकते हैं.

नित्यानंद के प्रतिनिधि के भाषण का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने संयुक्त राष्ट्र संघ की आलोचना करते हुए सवाल किया कि क्या यह मजाक है. दूसरे यूजर ने ट्वीट किया, "बकवास अपने चरम पर!" एक तीसरे यूजर ने लिखा-"इन लोगों को कैसे अनुमति दी जाती है? भारत आपत्ति क्यों नहीं उठा रहा है?" 

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि वे काल्पनिक देश के प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए बयानों को नजरअंदाज करेंगे. अधिकारी ने चर्चा किए जा रहे मुद्दों के लिए उनके सबमिशन को "अप्रासंगिक" करार दिया है.

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