- ब्रिटिश F-35B फाइटर जेट ने तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर आपातकालीन लैंडिंग की थी.
- यह विमान प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है और भारतीय नौसेना के साथ था.
- ब्रिटिश उच्चायोग ने भारत के सहयोग और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया है.
ब्रिटिश F-35B फाइटर जेट को तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर आपातकालीन लैंडिंग किए हुए लगभग दो सप्ताह हो चुके हैं. तब से इस बात का कोई संकेत नहीं मिला है कि दुनिया का सबसे महंगा फाइटर जेट कब उड़ेगा? अब बेंगलुरु में ब्रिटिश उच्चायोग ने विमान की स्थिति के बारे में NDTV के एक सवाल का जवाब दिया है, और इस विषय पर एक बयान भी जारी किया है.
पांचवीं पीढ़ी का यह उन्नत लड़ाकू विमान इंडो-पैसिफिक में तैनात प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है. भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त समुद्री अभ्यास पूरा करने के बाद अपने बेस पर लौट रहा था, तभी उसे तिरुवनंतपुरम में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी.
ब्रिटिश उच्चायोग ने क्या कहा
उच्चायोग ने कहा, "ब्रिटेन का एक एफ-35 विमान प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स में वापस नहीं आ सका. सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए, विमान को भारत के तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भेजा गया, जहां वह सुरक्षित रूप से उतरा. विमान में बाद में जमीन पर एक इंजीनियरिंग समस्या उत्पन्न हो गई, जिसके कारण उसे कैरियर में वापस नहीं लाया जा सका."
आयोग ने कहा, "एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स के इंजीनियरों ने विमान का मूल्यांकन किया और यह निर्णय लिया गया कि ब्रिटेन स्थित इंजीनियरिंग टीम की सहायता की आवश्यकता है. इस समय, हम नहीं बता सकते कि विमान की मरम्मत का काम कब तक पूरा होगा और ये कब तक उड़ पाएगा. हवाई अड्डे के ऑपरेशन में डिस्टरबेंस को कम करने के लिए, विशेषज्ञ उपकरण और यूके इंजीनियरिंग टीमों के आने के बाद विमान को मेंटेनेंस और ओवरहॉल फैसिलिटी हैंगर में एक स्थान पर ले जाया जाएगा." इससे पहले सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया था कि विमान सुरक्षित रूप से उतरा, लेकिन बाद में इसमें एक तकनीकी समस्या आ गई, जिसका मतलब था कि यह उड़ान नहीं भर सका. ब्रिटिश वाहक पर सवार इंजीनियरों ने प्रारंभिक मूल्यांकन किया और फिर मरम्मत करने के लिए इंग्लैंड से एक विशेषज्ञ टीम को बुलाया.
इस बीच, हवाई अड्डे के ऑपरेशन में व्यवधान से बचने के लिए, मरम्मत के दौरान जेट को रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल, या एमआरओ, सुविधा हैंगर में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.
भारत की तारीफ की
साथ ही, रॉयल नेवी ने विमान को पार्क करने के लिए हैंगर स्थान आवंटित करने के एयर इंडिया के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था. सूत्रों ने कहा कि यह अत्यधिक संभावना है कि "प्रोटेक्टेड टेक्नोलॉजी" पर चिंताओं ने रॉयल नेवी की ओर से F-35B को हैंगर के अंदर ले जाने के किसी भी निर्णय में देरी की हो. उच्चायोग ने यह भी उल्लेख किया कि यूके सरकार इस दौरान अपने भारतीय समकक्ष के साथ-साथ वायु सेना, नौसेना और हवाई अड्डे के अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है.
उच्चायोग ने कहा, "भारत की तरफ से प्रदान की गई सुरक्षित लैंडिंग, रसद और निरंतर सुरक्षा सहायता हमारे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ समन्वय और मजबूत होते रक्षा संबंधों को दर्शाती है." अभी तक इस बात की कोई समयसीमा तय नहीं की गई है कि जेट कब उड़ान भरेगा.