उद्धव ठाकरे की शिवसेना और बीजेपी में जुबानी जंग, एक दूसरे को ‘कमलाबाई’ और ‘पेंगुइन सेना’ कह कर साधा निशाना

उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच लगातार कड़वाहट बढ़ती जा रही है तथा दोनों दल लगातार एक दूसरे पर जुबानी हमले कर रहे हैं.

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मुंबई:

उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच लगातार कड़वाहट बढ़ती जा रही है तथा दोनों दल लगातार एक दूसरे पर जुबानी हमले कर रहे हैं. शिवसेना, भाजपा पर ‘कमलाबाई' कहकर निशाना साध रही है, जबकि भाजपा उसे ‘पेंगुइन सेना' कह कर उस पर जवाबी हमले कर रही है. भाजपा के चुनाव चिह्न ‘कमल' के संदर्भ में शिवसेना के ठाकरे खेमे ने ‘कमलाबाई' शब्द गढ़ा है. वहीं, भाजपा ठाकरे नीत शिवसेना पर हमला करने के लिए ‘पेंगुइन सेना' शब्द का इस्तेमाल कर रही है क्योंकि उद्धव ठाकरे के बेटे व शिवसेना की युवा शाखा के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे की मुंबई में पेंगुइन लाने की महत्वकांक्षी योजना थी.

गौरतलब है कि वर्ष 2016 में दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल से मुंबई के भायकुला चिड़ियाघर में आठ हम्बोल्डट पेंगुइन लाए गए थे. ठाकरे खेमा की लड़ाई भाजपा तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उनके नेतृत्व में बगावत करने वाले विधायकों के गुट पर भी तीखे हमले कर रहा है. ठाकरे खेमा शिंदे के नेतृत्व वाले बागी विधायकों को ‘गद्दार' करार दे रहा है और उनपर ‘50 खोखा' (महाराष्ट्र में एक करोड़ रुपये को एक खोखा कहा जाता है) कहकर तंज कस रही है. ठाकरे खेमा का आरोप है कि बागी विधायकों ने 50 करोड़ रुपये के बदले में अपनी निष्ठा बदली.

बागी विधायकों पर हमले का सिलसिला जारी रखते हुए आदित्य ठाकरे ने पिछले महीने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को ‘केकड़ा' करार दिया था. यह जुबानी जंग सबसे धनी नगर निकाय बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएससी) चुनाव से पहले और तेज होने की उम्मीद है क्योंकि दोनों पक्ष इस चुनाव को जीतने की कोशिश करेंगे. शिंदे और शिवसेना के 39 अन्य विधायकों के बगावत के बाद ठाकरे नीत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार 29 जून को गिर गई थी. इसके अगले दिन शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी.

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उसके बाद से ही ठाकरे नीत शिवसेना और भाजपा की जंग और तेज हो गई. शिवसेना ने भाजपा के लिए ‘कमलाबाई' का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. ‘कमल' का अभिप्राय भाजपा का चुनाव चिह्न है और ‘बाई' का मराठी में अर्थ महिला होता है. इसकी शुरुआत पिछले महीने तब हुई, जब शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना' में भाजपा के लिए ‘कमलाबाई' शब्द का इस्तेमाल किया.

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इसके जवाब में भाजपा की मुंबई इकाई के अध्यक्ष आशीष शेलार ने ‘सामना' के संपादक की जिम्मेदारी भी निभा रहे उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर पूछा कि क्या उनके खेमा को ‘पेंगुइन सेना' कहा जाए. हालांकि, इसके बावजूद शिवसेना ने भाजपा के लिए ‘कमलाबाई' शब्द का इस्तेमाल जारी रखा और जवाब में भाजपा ने भी ठाकरे नीत शिवसेना को ‘पेंगुइन सेना' कहना शुरू किया.

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कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ पत्रकार कुमार केतकर ने ‘पीटीआई-भाषा'से बातचीत में कहा, ‘‘कमलाबाई शब्द का इस्तेमाल अकसर दिवंगत बाल ठाकरे निजी बातचीत में करते थे और बाद में इस शब्द का इस्तेमाल ‘सामना' में किया गया.'' उन्होंने कहा कि भले ही दोनों दल हिंदुत्व के मुद्दे पर एक हो लेकिन बाल ठाकरे का कभी भाजपा के प्रति बहुत लगाव नहीं था.

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वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश अकोलकर ने बताया कि बाल ठाकरे ने पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल 1985 में किया था.अकोलकर ने पुरानी घटना को याद करते हुए बताया, ‘‘वर्ष 1984 में शिवसेना और भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया था, लेकिन अन्य विपक्षी पार्टियों की तरह इन दोनों दलों का भी सफाया हो गया. वर्ष 1985 में भाजपा ने प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिव फ्रंट (पीडीएफ) से हाथ मिला लिया. उस समय बाल ठाकरे ने रैली में कहा था कि ‘कमलाबाई हमें छोड़कर चली गई'.''

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने अपनी किताब ‘ऑन माई टर्म्स' में लिखा है कि सितंबर 2006 में जब उनकी बेटी सुप्रिया सुले की राज्यसभा के लिए उम्मीदवारी घोषित की गई, तब बाल ठाकरे ने समर्थन की पेशकश की थी. पवार के मुताबिक, जब उन्होंने भाजपा के साथ शिवसेना के गठबंधन का हवाला दिया था तो बाल ठाकरे ने कहा था कि ‘‘ कमला बाई (भाजपा) की चिंता करने की जरूरत नहीं है, वह वही करेगी जो मैं कहूंगा.''

अकोलकर ने बताया कि ‘पेंगुइन सेना' सीधे तौर पर आदित्य ठाकरे पर तंज है जिन्होंने शहर के प्राणि उद्यान में इस प्रजाति के जंतु को लाने में अहम भूमिका निभाई थी. इस चिड़ियाघर का प्रबंधन बीएमसी करता है. पेंगुइन लाने और उनके रखरखाव पर भारी खर्च को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने योजना की आलोचना की थी.
 

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