उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे को लेकर दिया बड़ा बयान, मुंबई और बीजेपी के लिए समझिए मायने

2024 ने उद्धव ठाकरे को पहले आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाया और फिर नीचे गिरा दिया. लोकसभा की सफलता विधानसभा चुनाव आते-आते हवा हो गई. राज ठाकरे के बेटे को भी चुनाव हारना पड़ा. क्या अब दोनों साथ आ रहे हैं...

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

उद्धव ठाकरे से मुंबई में एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान राज ठाकरे की पार्टी से गठजोड़ को लेकर जब सवाल पूछा गया तो इसपर उन्‍होंने कहा कि महाराष्ट्र के दिल में जो होगा, वही होगा. उन्होंने कहा कि शिवसैनिकों के दिल में कोई भ्रम नहीं है. MNS के दिमाग में भी कोई भ्रम नहीं है. हम कोई संदेश नहीं देंगे, हम सीधे खबर देंगे.

उद्धव और राज ठाकरे क्या चाहते हैं

इस बयान ने एक बात तो साफ कर दी है ठाकरे परिवार अपनी खोई ताकत को एकजुट करने के लिए अभी भी बातचीत कर रहा है. राज ठाकरे की पहल पर ही ये बातचीत शुरू हुई थी. मगर काफी समय से इसे लेकर कोई सूचना नहीं आने से लग रहा था कि कहीं न कहीं पेंच फंस गया है. हालांकि, उद्धव ठाकरे के बयान से साफ जाहिर है कि दोनों पक्षों में बातचीत सकारात्मक चल रही है. हालांकि, दोनों किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं हैं. कारण, दोनों को अपने कद के हिसाब से पावर चाहिए. 

बीजेपी को मुंबई में क्या नुकसान होगा

हाल ही में सार्वजनिक हुए बीजेपी के आंतरिक सर्वे में दावा किया गया है कि इस गठबंधन से बीजेपी की चुनावी संभावनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. पीटीआई के मुताबिक, बीजेपी ने बृहन्मुंबई नगर निगम के साथ-साथ पुणे और ठाणे सहित अन्य प्रमुख नगर निकायों के चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है. बीजेपी ने मुंबई में चुनाव को देखते हुए उद्धव ठाकरे-राज ठाकरे के बीच गठबंधन की अटकलों के बीच उसके प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए एक विस्तृत सर्वेक्षण किया. 

मराठी मतदाता किसका साथ देंगे

बीजेपी पदाधिकारी ने बुधवार (4 जून) को कहा, ''सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि बीजेपी तीन प्रमुख कारकों के कारण मुंबई में एक मजबूत स्थिति बनाए रखेगी. तीन प्रमुख कारक हैं- अपने पारंपरिक मतदाता आधार का विश्वास, पीएम मोदी और अमित शाह का नेतृत्व और पिछले राज्य विधानसभा चुनावों में पार्टी का मजबूत प्रदर्शन.''उन्होंने कहा, ''पारंपरिक मराठी मतदाता आधार वाले क्षेत्रों में भी, बीजेपी का समर्थन स्थिर है. सर्वेक्षण से पता चलता है कि ठाकरे भाइयों के बीच गठबंधन से पार्टी की सीट संख्या पर प्रभाव नहीं पड़ेगा.'' सर्वे में दावा किया गया है कि 2022 में शिवसेना में विभाजन के बाद, मुंबई में उद्धव ठाकरे का प्रभाव कम हो गया है, पार्टी के लगभग आधे नगरसेवक एकनाथ शिंदे के साथ चले गए हैं और राज ठाकरे का प्रभाव भी कम हो चुका है. 
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
NDTV Creators Manch 2025: एक अच्छे शायर और लेखक के लिए क्या जरूरी? Javed Akhtar ने दिया खास मंत्र
Topics mentioned in this article