जम्मू-कश्मीर के दो जिले फिर आतंकियों के रडार पर, सुरक्षाबलों की तैनाती में किया गया फेरबदल

सरकार के अनुसार, 21 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर के इन क्षेत्रों में तीन अधिकारियों और पांच पैराट्रूपर्स और सात नागरिकों सहित कुल 26 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं.

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एजेंसियों ने राजौरी और पुंछ घाटी के साथ नियंत्रण रेखा (LoC)के करीब काम कर रहे सुरक्षा बलों को चेतावनी दी है.
नई दिल्ली:

सुरक्षा एजेंसियों ने राजौरी और पुंछ घाटी के साथ नियंत्रण रेखा (LoC) पर गतिविधि में वृद्धि के बारे में चिंता जताई है, जिसके परिणामस्वरूप घुसपैठ की कोशिशों के स्तर में वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा, ''इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इनक्षेत्र से घुसपैठ हो रही है. एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यदि सुरक्षा बलों द्वारा प्रयासों को विफल कर दिया जा रहा है तो किसी अन्य समूह का पता न चल पाने की संभावना अपेक्षाकृत अधिक है. हालांकि, इस साल अब तक घुसपैठ का स्तर सबसे कम है.

अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की रणनीति साफ है कि भले ही 20-30 फीसदी घुसपैठिए मुठभेड़ों में मार गिराए जाएं, लेकिन और आतंकियों को LoC के पास भेजते रहें.

सेना इन क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों से झेल रही परेशानी

उन्होंने आगे कहा, "यह सभी मौसमों के लिए उपयुक्त मार्ग है, जिससे उन्हें भी फायदा होता है और वे आसानी से घाटी पार कर सकते हैं." लेकिन जो तथ्य अब एजेंसियों को इन इलाकों में फेरबदल करने के लिए मजबूर कर रहा है, वह हताहतों की संख्या है, जो सेना इन क्षेत्रों में पिछले दो वर्षों से झेल रही है.

एजेंसियों ने सुरक्षा बलों को भी दी चेतावनी

सरकार के अनुसार, 21 अक्टूबर से इन क्षेत्रों में तीन अधिकारियों और पांच पैराट्रूपर्स और सात नागरिकों सहित कुल 26 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं. एजेंसियों ने जमीन  स्तर पर काम कर रहे सुरक्षा बलों को भी चेतावनी दी है. इनपुट से यह भी पता चलता है कि आने वाले दिनों में घुसपैठ की कोशिशें बढ़ सकती हैं .इसको लेकर डंगरी गांव के सरपंच धीरज शर्मा ने एनडीटीवी से कहा,''घेराबंदी और तलाशी अभियान अब हर दिन का मामला है हम मुठभेड़ों और हताहतों के बारे में सुनते रहते हैं,'' 

आतंकवादी राजौरी-पुंछ बेल्ट को बना रहे हैं निशाना

1990 के दशक के बीच में उग्रवाद का केंद्र होने के बाद, 2000 के दशक के मध्य से यह क्षेत्र अपेक्षाकृत शांत था. लेकिन हाल ही में इन दोनों क्षेत्र में फिदायीन से लेकर सेना पर घात लगाकर हमले तक सभी प्रकार की हिंसा देखी गई है.  एक वरिष्ठ अधिकारी ने खुलासा करते हुए कहा, ''गलवान के बाद इस क्षेत्र में सेनाएं कम हो गई थीं, लेकिन अब इसपर फिर से काम किया जा रहा है.'' उनके अनुसार आतंकवादी अब ''कश्मीर में असफलताओं के बाद'' पीर पंजाल क्षेत्र में राजौरी-पुंछ बेल्ट को निशाना बना रहे हैं.

शांति बहाल करने में जुटी सुरक्षा और खुफिया एजेंसी 

उन्होंने आगे कहा, "अब अधिक आक्रामक CASO इंटेलिजेंस आधारित ऑपरेशनों को अंजाम दिया जा रहा है उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वास्तव में यह भी संकेत दिया कि राजौरी और पुंछ क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों द्वारा नई रणनीति अपनाई जा रही है.

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दिलचस्प बात यह है कि जम्मू और कश्मीर के लिए जारी हालिया मानवाधिकार रिपोर्ट में भी इस बात पर प्रकाश डाला गया था किरिपोर्ट में कहा गया है, "दशकों की शांति के बाद, जम्मू संभाग में पुंछ और राजौरी जिलों के सीमावर्ती इलाके पूर्व राज्य के पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्रों से सीमा पार समर्थन के साथ आतंकवाद के ठिकाने के रूप में फिर से उभर रहे हैं."

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