Bots के लिए Twitter जिम्मेदार, Koo नहीं लेगी कोई वैरिफिकेशन चार्ज : सीईओ

Koo उपयोगकर्ताओं को भारतीय भाषाओं में अपने विचार लिखने का विकल्प देता है और उसके पांच करोड़ से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं

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प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्‍ली:

भारत में बना सोशल मीडिया मंच ‘कू' वैरिफिकेशन (सत्यापन) बैज के लिए कोई शुल्क नहीं लेगा. कंपनी के सह- संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अप्रमेय राधाकृष्ण ने यह बात कही. उन्होंने साथ ही ट्विटर को पहले Bots बनाने और अब सत्यापन के लिए उपयोगकर्ताओं से शुल्क लेने पर आड़े हाथों लिया. गौरतलब है कि Koo भारत में ट्विटर की प्रमुख प्रतिस्पर्धी है. Koo उपयोगकर्ताओं को भारतीय भाषाओं में अपने विचार लिखने का विकल्प देता है और उसके पांच करोड़ से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं. गौरतलब है कि अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने ट्विटर का अधिग्रहण करने के बाद ब्लू टिक के लिए आठ अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाने की बात की है. दूसरी ओर कू प्रतिष्ठित व्यक्तियों को आधार आधारित स्व-सत्यापन का विकल्प देती है और बिना कोई शुल्क लिए पीला सत्यापन टैग देती है.

राधाकृष्ण ने कहा कि ट्विटर Bot, जिन्हें जॉम्बी भी कहा जाता है, Botसॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित खाते हैं. इन खातों का संचालन इंसान की जगह मशीन द्वारा किया जाता है. इनका मकसद बड़े पैमाने पर किसी खास सामग्री को ट्वीट और री-ट्वीट करना है.उन्होंने कहा, ‘‘ट्विटर पर Bots को फर्जी समाचार फैलाने, स्पैमिंग और दूसरों की गोपनीयता का उल्लंघन करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है.''उन्होंने कहा कि ट्विटर ने एक समय Bots को बढ़ावा दिया और अब उन्हें काबू में करने के लिए संघर्ष कर रहा है. राधाकृष्ण ने कहा कि आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका यह है कि जो खाते खुद को मनुष्य के रूप में सत्यापित नहीं करते हैं, उन्हें मंच से बाहर कर दिया जाए.

उन्होंने कहा, ‘‘ऑफलाइन दुनिया की तरह, हर इंसान ऑनलाइन दुनिया में भी एक इंसान के रूप में पहचाने जाने का हकदार है.''उन्होंने कहा, ‘‘Koo लोगों के बीच भरोसेमंद और स्वस्थ बातचीत को सक्षम बनाने में यकीन रखती है. इस साल हमने स्वैच्छिक स्व-सत्यापन की पेशकश मुफ्त में की और 1.25 लाख से अधिक भारतीयों ने इस अधिकार का लाभ उठाया है.''

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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