भारत सरकार ने मंगलवार को माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर के सह-संस्थापक जैक डोरसी के उस आरोप का ज़ोरदार खंडन किया कि सरकार की आलोचना करने वाले एकाउंटों और किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग करने वाले एकाउंटों पर पाबंदी लगाने के लिए भारत से 'कई अनुरोध' मिले थे, और सरकार ने ट्विटर को भारत में बंद कर देने की धमकी भी दी थी.
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक ट्वीट में ट्विटर सह-संस्थापक की टिप्पणी को "जैक डोरसी का सफेद झूठ, शायद ट्विटर के अतीत के संदिग्ध हिस्से को दरकिनार करने की कोशिश..." के तौर पर पूरी तरह खारिज कर दिया.
सोमवार को जैक डोरसी से यूट्यूब चैनल Breaking Points पर एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया था कि क्या उन्होंने विदेशी सरकारों की ओर से किसी तरह के दबाव का सामना किया था. इसके जवाब में जैक डोरसी ने कहा था, "उदाहरण के लिए, भारत... भारत उन मुल्कों में रहा, जहां से किसान आंदोलन के वक्त कई आग्रह भेजे गए, चुनिंदा पत्रकारों के लिएष जो सरकार के आलोचक रहे... और आग्रह इस तरह भेजे गए, जैसे कहा जा रहा हो - 'हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे...' 'हम आपके कर्मचारियों के घरों पर छापे मारेंगे', जो उन्होंने किया भी; 'अगर आप कहना नहीं मानेंगे, तो हम आपके दफ़्तर बंद कर देंगे...' और यह है भारत, एक लोकतांत्रिक देश..."
वर्ष 2021 में ट्विटर CEO पद छोड़ देने वाले जैक डोरसी ने तुर्की और नाइजीरिया की सरकारों का भी ज़िक्र किया, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में अलग-अलग वक्त पर ट्विटर पर पाबंदी लगाई थी, हालांकि बाद में ये प्रतिबंध हटा लिए गए थे. उन्होंने कहा, "तुर्की ने इसी तरह (भारत की तरह) काम किया..."
जैक डोरसी की इन टिप्पणियों को कांग्रेस के कई नेताओं ने शेयर किया.
एक लम्बी पोस्ट में केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जैक डोरसी पर पलटवार करते हुए कहा कि उनकी निगरानी में ट्विटर "भारतीय कानूनों का बार-बार और लगातार उल्लंघन" कर रहा था और "डोरसी और उनकी टीम को भारतीय कानूनों की संप्रभुता स्वीकार करने में समस्या थी..."
"सच्चाई यह है कि वे 2020 से 2022 तक बार-बार कानूनों का पालन नहीं कर रहे थे, और जून, 2022 के बाद ही उन्होंने कानूनों का पालन किया... कोई भी जेल नहीं गया और न ही ट्विटर 'शटडाउन' हुआ..."
राजीव चंद्रशेखर ने कहा, "ट्विटर के डोरसी काल में भारतीय कानूनों की संप्रभुता को स्वीकार करने में समस्या थी... ट्विटर का व्यवहार ऐसा था, जैसे भारतीय कानून उस पर लागू ही नहीं होते... एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में भारत को यह सुनिश्चित करने का अधिकार है कि भारत में काम करने वाली सभी कंपनियों द्वारा इसके कानूनों का पालन किया जाए... जनवरी, 2021 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान बहुत सारी गलत सूचनाएं फैलीं और यहां तक कि नरसंहार की रिपोर्टें भी थीं, जो निश्चित रूप से फेक थीं..."
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "सरकार इस प्लेटफॉर्म से गलत सूचनाएं हटाने के लिए बाध्य थी, क्योंकि फेक न्यूज़ की वजह से हालात भड़क सकते थे..." उन्होंने आगे कहा, "जैक डोरसी के काल में ट्विटर का व्यवहार इतना पक्षपातपूर्ण था कि उन्हें भारत में प्लेटफॉर्म से गलत सूचनाएं हटाने में भी दिक्कत हुई, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका में इसी तरह की घटनाएं होने पर उन्होंने खुद ऐसा किया था... स्थिति साफ करने के लिए बताता हूं कि किसी पर छापा नहीं मारा गया या जेल नहीं भेजा गया... हमारा फोकस सिर्फ भारतीय कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करने पर था..."
केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि उस अवधि के दौरान "जैक के तहत काम कर रहे ट्विटर की मनमानी, स्पष्ट रूप से पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण आचरण और अपने प्लेटफॉर्म पर अपनी ताकत के दुरुपयोग" के बारे में सार्वजनिक रूप से "पर्याप्त सबूत" मौजूद थे.
राजीव चंद्रशेखर ने कहा, "जैक डोरसी के तहत ट्विटर न केवल भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा था, बल्कि पक्षपातपूर्ण भी रहा था, और हमारे संविधान के अनुच्छेद 14, 19 के उल्लंघन में मनमानी कर रहा था, और गलत सूचनाओं को हथियार बनाने में भी मदद कर रहा था... भारत में सक्रिय सभी इंटरमीडियरीज़ के लिए हमारी सरकार की नीतियां स्पष्ट हैं - इंटरनेट की सुरक्षा, विश्वसनीयता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कानूनों का अनुपालन हो..."