भारत रूस से तेल न खरीदे तो दुनिया का निकलेगा तेल, समझिए कीमतों में क्यों लगेगी आग?

रूस हर दिन लगभग 95 लाख बैरल तेल का प्रोडक्शन करता है. इस प्रोडक्शन से विश्व में कच्चे तेल की 10% डिमांड पूरी होती है. भारत के रूस से तेल खरीदने में डिमांड और सप्लाई वाला समीकरण काम करता है.

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  • भारत रूस से कच्चा तेल लेना बंद करता है तो वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं
  • रूस हर दिन लगभग 25 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है जो विश्व की कुल डिमांड का 10 प्रतिशत हिस्सा पूरा करता है
  • भारत विश्व में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है और अपनी कुल डिमांड का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है
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भारत अगर रूस से कच्चा तेल लेना बंद कर दे तो वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों का गणित बिगड़ सकता है. दरअसल एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के इस कदम के बाद ही इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें 200 डॉलर/बैरल पहुंच सकता है. कह सकते हैं कि ऐसा होते ही तेल की कीमतों में आग लग जाएगी. रूस इस समय दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है, जो कच्चे तेल का उत्पादन करता है.

रूस विश्व की 10% डिमांड करता है पूरी

रूस हर दिन लगभग 95 लाख बैरल तेल का प्रोडक्शन करता है. इस प्रोडक्शन से विश्व में कच्चे तेल की 10% डिमांड पूरी होती है. भारत के रूस से तेल खरीदने में डिमांड और सप्लाई वाला समीकरण काम करता है. कच्चे तेल की कीमतों और इस डिमांड में बैलेंस बना रहता है. विश्व में भारत कच्चे तेल का इंपोर्ट करने के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश है. अपनी 85% डिमांड को भारत तेल खरीदकर पूरा करता है.

रूस-यूक्रेन वॉर में भारत ने बनाया था बैलेंस

साल 2022 में रूस-यूक्रेन वॉर के दौरान कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिसके चलते कच्चे तेल की कीमतें 137 डॉलर/बैरल पहुंच गईं थीं, उस समय भारत ने ज्यादा से ज्यादा मात्रा में रूस से तेल खरीदकर वैश्विक स्तर पर डिमांड और सप्लाई के बीच बैलेंस बनाया था, जिसकी वजह से कीमतें ज्यादा ऊपर नहीं जा पाईं थीं.

'कीमतों में हो सकता है इजाफा'

एक्सिस बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट नीलकंड मिश्रा ने एनडीटीवी प्रॉफिट से कहा कि, 'अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर देता है तो सप्लाई में कमी होने से कीमतें ऊपर जा सकती हैं. OPEC के मामले में आखिरी हफ्ते हम देख चुके हैं.

डीडब्ल्यू की रिपोर्ट के अनुसार ट्रेड रिसर्च हाउस केपलर के नई दिल्ली स्थित तेल विश्लेषक सुमित रिटोलिया ने बताया कि अगर भारत ने (2022 में) रूसी कच्चा तेल नहीं खरीदा होता, तो कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता कि तेल की कीमत क्या होती. शायद वो $100 प्रति बैरल हो जाता, या $120 प्रति बैरल या शायद $300 प्रति बैरल तक चला जाता. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से पहले के हफ्तों में WTI क्रूड $85 और $92 प्रति बैरल के बीच था.

यदि बाजार से रूस के प्रतिदिन उत्पादित तेल अचानक हटा दिए जाए, तो विश्लेषकों का मानना है कि तेल की कीमतें एक बार फिर तेजी से बढ़ सकती है. इसकी वजह है कि अभी रूसी तेल खरीदने वाले देश सप्लाई के दूसरे सोर्स के लिए संघर्ष करने लगेंगे. सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी एनालिसिस के सीनियर फेलो अलेक्जेंडर कोलियंडर ने यूके के इंडिपेंडेंट अखबार को बताया, "तेल की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए उन 5 मिलियन (बैरल) को तेजी से रिप्लेस करने का कोई रास्ता नहीं है." 

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टैरिफ की लड़ाई अब तेल पर

आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने पर बड़े आरोप लगाए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि रूस से तेल खरीदकर भारत ने जंग के लिए फंडिंग की है और इसी के चलते उन्होंने बुधवार शाम को भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगा दिया.

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