हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी से परेशान आलाकमान, रणदीप सुरजेवाला को कर सकता है साइडलाइन

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एनडीटीवी से कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी की लीडरशिप में पार्टी संगठन को मज़बूत किया जा रहा है और पार्टी एकजुट होकर हरियाणा में चुनाव लड़ेगी और जीतेगी.

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चंडीगढ़:

हरियाणा कांग्रेस में गुटबाज़ी और अंदरूनी खींचतान से निपटना कांग्रेस लीडरशिप के लिए सिरदर्द बना हुआ है. कांग्रेस के नए हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया के सामने पिछले हफ्ते हरियाणा कांग्रेस की पहली ही बैठक में गुटबाज़ी खुलकर सामने आ गई. ख़बरों के मुताबिक पिछले हफ्ते हरियाणा कांग्रेस की बैठक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी के समर्थक लामबंद हुए और इनके बीच खुलकर तीखी नोकझोंक और नारेबाजी हुई.

जाहिर है इस गुटबाजी को लेकर आलाकमान चिंतित है. हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस के जमीन से जुड़े नेता हैं. ठीक उसी तरह जैसे राजस्थान में गहलोत हैं. जैसे राजस्थान में कांग्रेस आलाकमान ने सचिन-गहलोत के झगड़े में गहलोत का साथ दिया. वैसे ही संभव है कि हरियाणा में रणदीप सुरजेवाला को किनारे किया जा सकता है.

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान ने एनडीटीवी से बातचीत में माना कि हरियाणा में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं. जब चुनाव होंगे तो लीडर का फैसला विधायक और हाईकमान करेंगे.

हरियाणा कांग्रेस में कोई गुटबाजी नहीं- प्रदेश अध्यक्ष
उदय भान ने एनडीटीवी से कहा, "हरियाणा कांग्रेस के जो वरिष्ठ नेता हैं, उनमें कई मुख्यमंत्री के भी दावेदार हैं. यह स्वाभाविक है कि उनके जो समर्थक हैं वह उनके समर्थन में नारे भी लगाएंगे, ताली भी बजाएंगे और उनके लिए लॉबिंग भी करेंगे. लेकिन यह एक संकेत भी है कि आने वाले समय में कांग्रेस पार्टी हरियाणा में सरकार बनाने वाली है. हरियाणा प्रदेश में कोई गुटबाजी नहीं है, पूरी पार्टी एकजुट है. फैसले लेने के समय सभी एकजुट रहते हैं."

हुड्डा ने कांग्रेस प्रभारी को हार के कारणों से अवगत कराया
सूत्रों के मुताबिक भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस प्रभारी को 2019 के चुनावों में हार की वजहों से अवगत कराया है और टिकट बंटवारे में खामियों का सवाल भी उनके सामने रखा है. हुड्डा 2019 के नतीजों के बाद से लगातार कह रहे हैं कि अगर उनके विरोधी खेमे की बात नहीं मानते और उनके सुझाए 22 उम्मीदवारों को टिकट देते तो बहुमत आसानी से मिलता.

2019 में कांग्रेस हरियाणा में 31 सीटें जीती थी
बता दें कि पिछले चुनाव में कांग्रेस हरियाणा में 31 सीटें जीत पाई थी, जो बहुत के आंकड़े से महज 15 सीट दूर था. उधर 40 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली. हुड्डा के करीबी सूत्रों के मुताबिक कुछ नेता हरियाणा में पार्टी को कमज़ोर करने की कोशिश कर रहे हैं. चंडीगढ़ में हरियाणा कांग्रेस की दो दिन की बैठक में जो हंगामा और नारेबाजी हुई, हुड्डा का साफ़ इशारा रणदीप सुरजेवाला के खेमे की तरफ था.

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उधर पार्टी दावा कर रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की लीडरशिप में अड़चनों को दूर कर लिया जाएगा.

कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है, भले ही आज चुनाव हों : भूपेंद्र सिंह हुड्डा

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एनडीटीवी से कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी की लीडरशिप में पार्टी संगठन को मज़बूत किया जा रहा है और पार्टी एकजुट होकर हरियाणा में चुनाव लड़ेगी और जीतेगी.

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हरियाणा में तीन साल में कांग्रेस के तीन प्रभारी
पिछले तीन साल में कांग्रेस हाईकमान हरियाणा के लिए तीन अलग-अलग प्रभारी नियुक्त कर चुका है. गुटबाज़ी की वजह से पार्टी लीडरशिप हरियाणा में स्थानीय स्तर पर office-bearers भी नियुक्त नहीं कर पायी है. नए कांग्रेस प्रभारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती फिलहाल नए जिला और ब्लॉक प्रमुखों को नियुक्त करने की है.

साथ ही, राजस्थान में जिस तरह से कांग्रेस ने सचिन पायलट के विरोध के बावजूद अशोक गेहलोत के साथ खड़े रहने का फैसला किया है. उसे हरियाणा में भी उसी तर्ज़ पर चुनावी रणनीति बनानी होगी.  

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हरियाणा में अंदरूनी गुटबाज़ी और खींचतान की वजह से पार्टी दो बार विधानसभा चुनाव हार चुकी है. ज़ाहिर है, समय रहते केंद्रीय नेतृत्व ने अगर हस्तक्षेप नहीं किया तो पार्टी को अगले साल होने वाले चुनावों में इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है.
 

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