पश्चिम बंगाल की ममता सरकार सीबीआई (CBI) के खिलाफ चुनाव आयुक्त का दरवाजा खटखटाया है. टीएमसी ने शिकायत में कहा है कि सीबीआई ने ऐसे समय में विपक्ष के अभियानों का "गला घोंट रही' है, जब देश में लोकसभा चुनाव (LokSabha Elections 2024) चल रहे हैं. ये शिकायती पत्र टीएमसी ने चुनाव कमिश्नर को गुरुवार शाम को भेजा था. यह मामला ऐसे समय में सामने आया है, जब बंगाल सरकार (TMC) ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें अब निलंबित तृणमूल नेता शेख शाहजहां और उनके सहयोगियों के खिलाफ संदेशखाली में जबरन वसूली, जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोपों की सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था. मामले में संदिग्धों से जुड़े ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम उठाया था.
संघीय एजेंसी ने विदेशों में बने हथियार और गोला-बारूद बरामद किया था, जिसके बाद एनएसजी कमांडो की टीमों को मौके पर तैनात किया गया है. टीएमसी ने कहा, "तलाशी में कथित तौर पर बरामद किए गए हथियार "सीबीआई/एनएसजी द्वारा गुप्त रूप से रखे गए थे, निश्चित रूप से यह जानने का कोई तरीका नहीं है."
टीएमसी ने की CBI की शिकायत
टीएमसी ने चुनाव आयोग को दी गई शिकायत में कहा है, "आपके दफ्तर ने आंखें मूंद ली हैं, जबकि खासकर चुनाव के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसियां देश भर में कहर बरपा रही हैं." टीएमसी ने चिट्ठी में लिखा, " लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान के दौरान खासकर पश्चिम बंगाल में, मतदाताओं को दार्जिलिंग, रायगंज और बालुरघाट, इन तीन सीटों पर मतदान करना था. इस दौरान सीबीआई ने जानबूझकर संदेशखाली में एक खाली जगह पर बेईमानी से छापेमारी की. मीडिया रिपोर्टों से पता चला है कि सीबीआई ने राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के बम दस्ते समेत अतिरिक्त बलों को बुलाया. यह भी बताया गया है कि छापेमारी के दौरान एक घर से हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए.
उन्होंने चिट्ठी में लिखा, "...हालांकि 'कानून और व्यवस्था' पूरी तरह से राज्य सरकार के दायरे में आता है, लेकिन सीबीआई ने इस तरह की छापेमारी करने से पहले राज्य सरकार और पुलिस अधिकारियों को कार्रवाई के लिए कोई नोटिस जारी नहीं किया. इसके अलावा, राज्य पुलिस के पास एक पूरी तरह कार्यात्मक बम निरोधक दस्ता है जो पूरे ऑपरेशन में मदद कर सकता था, अगर सीबीआई को वास्तव में लगा कि ऐसी छापेमारी के दौरान एक बम दस्ते की जरूरत थी तो कोई सहायता क्यों नहीं मांगी.
"क्या वास्तव में तलाशी में मिले हथियार"
" हैरानी की बात है कि राज्य प्रशासन के मौके पर पहुंचने से पहले ही मीडिया कर्मी इस तरह की छापेमारी के दौरान पहले से ही मौजूद थे. देश भर में पहले से ही खबर थी कि छापेमारी के दौरान हथियार बरामद किए गए. निश्चित रूप से यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि क्या ये हथियार वास्तव में तलाशी और जब्ती प्रक्रिया के दौरान ही बरामद किए गए थे या क्या उन्हें सीबीआई/एनएसजी द्वारा गुप्त रूप से रखा गया था."
टीएमसी ने सीबीआई पर "जानबूझकर" मीडिया को "पहले से ही सूचना देने का आरोप लगाया, ताकि चुनाव अवधि के दौरान एआईटीसी और उसके उम्मीदवारों की आलोचना हो. उन्होंने कहा कि मीडिया को भी गलत जानकारी दी गई कि वह जगह एआईटीसी समर्थक की है. उन्होंने कहा कि अदालत में कुछ भी साबित नहीं हुआ है, हालांकि, सीबीआई ने इस अफवाह को फैलाने के लिए मीडिया का सहारा लिया है. टीएणसी का आरोप है कि बीजेपी ने मतदाताओं के बीच आतंक की भावना फैलाकर आगामी चुनावों की प्योरिटी से समझौता किया, जिससे अनुचित लाभ हासिल करने की कोशिश की गई.
TMC की शिकायत पर चुनाव आयोग का निर्देश
टीएमसी की शिकायत पर चुनाव आयोग से तत्काल दिशानिर्देश जारी करने की अपील की है. जिसके तहत चुनाव की अवधि के दौरान राजनीतिक दलों और पदाधिकारियों के खिलाफ सीबीआई समेत किसी भी केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा कार्रवाई नहीं की जाए और एजेंसियों और मीडिया को अपनी रिपोर्टिंग में AITC के संदर्भों को हटाने के लिए तत्काल निर्देश जारी किए जाएं.
ये भी पढ़ें-"कांग्रेस मुसलमानों के वोट चाहती है, उम्मीदवार नहीं?" सामने आई पार्टी की अंदरूनी दरार
ये भी पढ़ें-मणिपुर में कथित कुकी उग्रवादियों के हमले में CRPF के 2 जवान शहीद, कई घायल