शिकायत उजागर करने पर ट्रेन ड्राइवर ने दी आत्महत्या की धमकी, रेलवे ने भेजा मानसिक अस्पताल

पूर्व में अपनी सेवाओं के लिए प्रशंसा अर्जित करने वाले एक अनुभवी ट्रेन ड्राइवर को एक मानसिक अस्पताल में नौ दिन बिताने पड़े

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प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

अतीत में अपनी सेवाओं के लिए प्रशंसा अर्जित करने वाले एक अनुभवी ट्रेन ड्राइवर को एक मानसिक अस्पताल में नौ दिन बिताने पड़े और अपनी मानसिक फिटनेस साबित करने के लिए एक विशेष जांच करानी पड़ी, क्योंकि उसने अपनी शिकायतें उजागर करने के लिए आत्महत्या करने की धमकी दी थी.विशेष जांच में ट्रेन ड्राइवर श्याम सिंह को स्वस्थ घोषित किए जाने के बाद, अब आगरा रेल डिवीजन ने उन्हें ड्राइविंग ड्यूटी में वापस आने से पहले रिफ्रेशर कोर्स करने का निर्देश दिया है.

आगरा रेलवे डिवीजन के जन संपर्क अधिकारी (पीआरओ) प्रशस्ति श्रीवास्तव ने कहा कि यह पता लगाने के लिए मेडिकल जांच की आवश्यकता थी कि वह (ड्राइवर) ट्रेन चलाने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ है या नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने के लिए हमें हर कदम उठाने की जरूरत है. हजारों यात्रियों को ट्रेन में लेकर चलने वाले एक लोको पायलट का दिमाग चौकस और स्वस्थ होना चाहिए.''

श्रीवास्तव ने विभाग द्वारा सिंह के प्रति किसी भी तरह के भेदभाव या बदले की भावना से किए गए व्यवहार से भी इनकार किया.

वर्ष 1996 में सहायक लोको पायलट के रूप में रेलवे में शामिल हुए 48-वर्षीय सिंह पिछले एक साल से अपने वरिष्ठों के कथित अन्याय और मनमानी के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. सिंह की दुर्दशा अक्टूबर 2022 में उस वक्त शुरू हुई जब उन्हें ट्रेन चलाते समय मामूली गलती के लिए नोटिस मिला. अपने जवाब में उन्होंने न सिर्फ सभी आरोपों से इनकार किया, बल्कि अपने वरिष्ठों पर निजी दुश्मनी के कारण उन्हें प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया.

जब सिंह को लगा कि उनके साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है और उनके वरिष्ठों द्वारा उनकी बात ठीक से नहीं सुनी जा रही है, तो उन्होंने 23 दिसंबर, 2022 को सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के लिए आवेदन किया.

हालांकि, जब उनके शुभचिंतकों और उनसे सहानुभूति रखने वालों ने उन्हें वीआरएस न लेने और इसके बजाय लड़ाई लड़ने की सलाह दी, तो उन्होंने वीआरएस आवेदन वापस लेने का विकल्प चुना, जिसे विभाग ने अस्वीकार कर दिया और 10 फरवरी, 2023 को उन्हें उनकी सेवाओं से मुक्त कर दिया. सिंह ने इसे केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट), इलाहाबाद में चुनौती दी और स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया.

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इंडियन रेलवे लोको रनिंगमेन ऑर्गनाइजेशन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा, ‘‘हालांकि कैट ने उनकी सेवाएं बहाल कर दीं, लेकिन विभाग प्रतिशोधी हो गया और उन्हें जूनियर पद पर भेज दिया गया. वह जानते थे कि वह एक अनुभवी मेल एवं एक्सप्रेस ट्रेन ड्राइवर हैं, फिर भी उन्हें रेलवे मानदंडों के खिलाफ मालगाड़ियों में सहायक ड्राइवर के रूप में काम करने के लिए कहा गया.'' आरएलआरओ इस मामले में सिंह को कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है.

पांधी ने कहा, ‘‘सिंह को उनकी कड़ी मेहनत और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया के लिए कई बार सम्मानित किया गया है.' इस बीच, सिंह ने उन्हें मेल और एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में वापस लाने के लिए अपने विभाग को कई बार लिखा लेकिन इसे खारिज कर दिया गया. हताशा के कारण और अपने वरिष्ठों का ध्यान अपनी दुर्दशा की ओर आकर्षित करने के लिए, एक दिन, सिंह ने शिकायत पुस्तिका पर लिखा कि वह अपने अपमान से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या करना चाहते हैं.''

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विभाग ने इसका इस्तेमाल सिंह के खिलाफ किया और मानसिक फिटनेस परीक्षण और एक विशेष मस्तिष्क परीक्षण के लिए निर्देश जारी किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह ट्रेन चलाने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ है या नहीं.

जब सिंह ने सवाल किया कि किस नियम के तहत उनका ऐसा परीक्षण किया जा रहा है, तो विभाग ने इसे लिखित रूप में सही ठहराते हुए कहा कि उनकी मानसिक फिटनेस का पता लगाना महत्वपूर्ण है क्योंकि वह यात्री ट्रेन चलाते हैं जिनमें हजारों लोग सवार होते हैं और इसलिए रेल परिचालन की सुरक्षा की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है.

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सिंह ने केवल फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए मानसिक अस्पताल में नौ दिन बिताए. अस्पताल द्वारा उन्हें चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ घोषित करने के बाद भी, विभाग ने एक और परीक्षण- सिर का नॉन-कंट्रास्ट कंप्यूटेड टोमोग्राफी (एनसीसीटी) करवाया, जिसमें उन्हें सामान्य पाया गया. पांधी के अनुसार, परीक्षण में सामान्य रिपोर्ट आने के बावजूद सिंह को रिफ्रेशर कोर्स में भेजा जा रहा है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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