शीर्ष पद एकनाथ शिंदे के पास जाने के साथ ही शिवसेना पर उद्धव ठाकरे का दावा पड़ा 'कमजोर'

उद्धव ने बागियों से अपने कदम पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था. उन्‍होंने कहा था, "यदि मैं पद छोड़ता हूं तो क्‍या आप गारंटी देंगे कि कोइई अन्‍य शिवसैनिक सीएम बने."

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उद्धव ठाकरे को बेदखल कर एकनाथ शिंदे बनेंगे महाराष्‍ट्र के नए सीएम

उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray)को बुधवार रात पद छोड़ने के लिए 'विवश' करने वाले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde), इस इस्‍तीफे के 24 घंटे से कम समय बाद ही राज्‍य के मुख्‍यमंत्री का पद संभालेंगे. बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis)की ओर से इस बारे में की गई घोषणा के साथ ही 9 दिन तक चले सियासी ड्रामा का अप्रत्‍याशित क्‍लाइमेक्‍स हुआ. दिनभर यह खबरें मीडिया की सुर्खियों में थीं कि फडणवीस नए मुख्‍यमंत्री होगें और एकनाथ शिंदे उनके डिप्‍टी यानी उप मुख्‍यमंत्री. आज मुंबई के लिए उड़ान भरने से पहले शिंदे ने कहा था कि मंत्रालय के बारे में फडणवीस के साथ बातचीत जारी है. उनके इस बयान से किसी को भी अंदाज नहीं था कि फडणवीस नई सरकार में शीर्ष पद नहीं लेंगे. बहरहाल, दो बार राज्‍य का सीएम पद संभाल चुके फडणवीस ने आज प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान कहा, "मैं सरकार का हिस्‍सा नहीं रहूंगा." 

 फडणवीस ने बताया था कि शिंदे अकेले आज रात साढ़े सात बजे शपथ लेंगे. निर्दलीय सहित अन्‍य विधायकों के सरकार में शामिल होने का जिक्र करते हुए उन्‍होंने बताया था कि मंत्रिमंडल का विस्‍तार बाद में होगा. इस कवायद में फडणवीस की ओर से अपने 'पसंदीदा पद' के बलिदान के पीछे का मकसद, मामले में अपनी उद्देश्‍यपूर्ण केंद्रीय भूमिका की आलोचना को रोकना है. पिछले सोमवार की आधी रात को शिंदे और शिवसेना के करीब 20 अन्‍य विधायकों ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया था. उद्धव के बेटे आदित्‍य ठाकरे ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, "हमें अपने ही लोगों ने धोखा दिया." 

फडणवीस के साथ मिलकर विद्रोह का ब्‍लूप्रिंट तैयार करने वाले शिंदे ने बागी विधायकों के साथ पहले सूरत (एक दिन का पड़ाव) और फिर असम के गुवाहाटी का रुख किया जहां इन विधायकों ने उस फाइव स्‍टार होटल में आठ दिन गुजारे, जहां इनकी स्‍थानीय बीजेपी सरकार के मंत्रियों के अलावा किसी और तक पहुंच नहीं थी. हर दिन के साथ इस बागी गुट में विधायकों की संख्‍या बढ़ती जा रही थी और 'टीम ठाकरे' संख्‍याबल के मामले में कमजोर पड़ती जा रही थी. आखिरकार शिंदे के साथ 55 में से 39 विधायक थे. ऐसे में तराजू का पलड़ा किस ओर झुक रहा है, इस बारे में किसी को संदेह नहीं रह गया था.  

सुप्रीम कोर्ट की ओर से महाराष्‍ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश मिलने के कुछ ही देर बाद उद्धव ठाकरे पर फेसबुक लाइव में इस्‍तीफे का ऐलान कर दिया. शिंदे ने ठाकरे के खिलाफ जाने का निर्णय इसलिए लिया कि 2019 के बाद से शिवसेना की हिंदुत्‍वादी विचारधारा के साथ समझौता किया था जा रहा था. उद्धव ने बीजेपी के साथ तीन दशक पुराने गठबंधन को तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी का हाथ थामा और नए गठबंधन की मदद से सीएम बने. आदित्‍य ठाकरे ने आज एनडीटीवी से बातचीत में कहा, "शासन के लिए अलग अलग दृष्टिकोण वाली तीन पार्टियों का साथ काम करना, यह लोकतंत्र है." अपने पिता के फैसले का बचाव करते हुए जूनियर ठाकरे ने कहा, "उन्‍होंने हमारा साथ छोड़ा क्‍योंकि ओछी महत्‍वाकांक्षा (monster ambition) वाले लोगों ने उनका ब्रेनवॉश किया. " 

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वैसे उद्धव ने बागियों से अपने कदम पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था. उन्‍होंने कहा था, "यदि मैं पद छोड़ता हूं तो क्‍या आप गारंटी देंगे कि कोइई अन्‍य शिवसैनिक सीएम बने." बहरहाल, ठाकरे परिवार के पास अब शिवसेना में अपना 'रसूख' गंवाने का खतरा है. शिंदे ने कहा है कि उनके गुट के पास 55 में से 39 विधायकों का समर्थन है और यह गुट ही वैध शिवसेना है. इस गुट के आदेश और नियुक्तियां 'टीम ठाकरे' के लिए बाध्‍यकारी हैं.  उद्धव ठाकरे के सामने यह अंतिम चुनौती है कि उनके पिता द्वारा स्‍थापित पार्टी पर अब उनका नियंत्रण नहीं है. एनडीटीवी के यह पूछने पर कि क्‍या ठाकरे के बिना शिवसेना संभव है, आदित्‍य ठाकरे ने कहा, "जिन लोगों ने ऐसा किया है वे इसका जवाब दें."

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उद्धव ठाकरे के इस्‍तीफे के बाद शिवसेना का क्‍या होगा? जानिए क्‍या कहते हैं जानकार

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