नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. उनके जीवन से जुड़े कुछ पहलू अब भी हर किसी के लिए रहस्य बने हुए हैं. जिन्हें ज्यादातर लोग जानने की चाह रखता हैं. रक्षा मंत्रालय द्वारा लिखी गई किताब ‘हिस्ट्री ऑफ आईएनए' आज तक लोगों की नजरों से दूर है, और ऐसा माना जाता है कि उसमें उनके बारे में इस किताब में कुछ अहम खुलासे किए गए हैं. दिवंगत प्रोफेसर प्रतुल चंद्र गुप्ता के नेतृत्व में इतिहासकारों के एक दल द्वारा संकलित लेखों को शोधकर्ताओं द्वारा एक किताब का रूप दिया गया.
केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय से भरोसा दिया गया था कि वह 2011 में जुलाई के अंत तक इसे प्रकाशित कर देगी, लेकिन अब तब वह जारी नहीं की गई. इस किताब को पब्लिश करने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आश्वासन दिया गया था. यह रहस्य उस ‘नोट' की प्रति से और गहरा गया है जिसे विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी द्वारा कथित तौर पर लिखा गया था और उसे तृणमूल कांग्रेस सांसद एवं नेताजी के बारे में लंबे समय से शोध कर रहे सुखेंदु शेखर राय के ‘लेटर बॉक्स' में डाल दिया गया.
इसमें कहा गया कि लेख के प्रकाशन से ‘‘ क्षेत्र में किसी भी देश के साथ भारत के संबंध प्रभावित नहीं होंगे... नेताजी बोस की मृत्यु से संबंधित पृष्ठों (186-191) के अधिक विवादास्पद होने की संभावना है.'' राय द्वारा ‘पीटीआई-भाषा' के साथ साझा किए ‘नोट' के अनुसार, ‘‘ दुर्भाग्य से, वर्तमान खंड से (बोस की मृत्यु के) विषय में कोई स्पष्टता नहीं मिली और केवल एक विचार साझा किया गया कि शायद नेताजी सुभाष चंद्र बोस विमान दुर्घटना में जीवित बच गए थे.'' ‘पीटीआई-भाषा' इस ‘नोट' की विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता है.
नेताजी के साथी आबिद हसन सहित चश्मदीद गवाहों का कहना है कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइपे में एक हवाई दुर्घटना में हुई थी, हालांकि कुछ लोगों को इस पर संदेह है. जांच के लिए गठिन तीन आधिकारिक आयोगों में से एक ने भी इस पर सवाल उठाए हैं. राय ने कहा, ‘‘ मैंने जनवरी 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह सब इंगित करते हुए एक पत्र लिखा और किताब प्रकाशित करने की गुहार लगाई थी. आज तक इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया है.'' उन्होंने बताया कि इस कथित ‘नोट' के निष्कर्ष में कहा गया कि ‘‘विदेश मंत्रालय को इस तरह के प्रकाशन के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से कोई आपत्ति नहीं हो सकती है.''
प्रोफेसर गुप्ता मराठा इतिहास के एक प्रसिद्ध विशेषज्ञ थे, जो बाद में शांतिनिकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति बने. उन्हें आईएनए (भारतीय राष्ट्र सेना उर्फ आज़ाद हिन्द फौज) के सैन्य इतिहास के बारे में लिखने के लिए चुना गया था. नेताजी के परिवार के अधिकतर सदस्यों जैसे उनकी बेटी अनीता बोस फाफ और परपोते एवं प्रख्यात इतिहासकार सुगातो बोस का मानना है कि नेताजी की मृत्यु 1945 में ताइपे में हुए विमान हादसे में हुई थी. कई लोगों की मांग है कि विमान दुर्घटना के बाद जापान के रैंकोजी मंदिर में रखे अवशेषों को वापस लाया जाए और ‘डीएनए' परीक्षण किया जाए ताकि इस मुद्दे का हमेशा के लिए समाधान हो सके.
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