स्पीकर को लेकर आखिर कांग्रेस से क्यों नाराज हुई TMC, फिर कैसे सुलझा मामला?

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि ये आखिरी मिनट में लिया गया निर्णय था, उन्हें दोपहर की समय सीमा से 10 मिनट पहले फोन करना था और इसी वजह से कोई परामर्श नहीं किया जा सका.

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नई दिल्ली:

लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर विपक्ष की ओर से कांग्रेस के आठ बार के सांसद के सुरेश को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद इंडिया गठबंधन में ही असमंजस की स्थिति पैदा हो गई. खबर आयी कि इस फैसले से तृणमूल कांग्रेस नाराज है. हालांकि थोड़ी देर बाद ही स्पीकर के चुनाव को लेकर कांग्रेस और टीएमसी के बीच बना गतिरोध खत्म हो गया. बताया जा रहा है कि आज रात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के घर पर होने वाली बैठक में टीएमसी अपना प्रतिनिधिमंडल भेज रही है.

आए दिन ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच इस तरह गतिरोध की स्थिति देखने को मिलती रहती है. लोकसभा चुनाव के समय भी इंडिया गठबंधन में होते हुए भी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी के बीच सीटों पर समझौता नहीं हो पाया था. लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए के सुरेश के नामांकन से तृणमूल खेमे में खलबली मच गई, टीएमसी का कहना था कि ये कांग्रेस का एकतरफा फैसला है.

टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा, "लोकसभा अध्यक्ष चुनाव के लिए विपक्षी उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के के. सुरेश को नामित करने और समर्थन करने का निर्णय एक 'एकतरफा निर्णय' था. इस बारे में हमसे संपर्क नहीं किया गया, न कोई चर्चा हुई."

वहीं कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि ये आखिरी मिनट में लिया गया निर्णय था, उन्हें दोपहर की समय सीमा से 10 मिनट पहले फोन करना था और इसी वजह से कोई परामर्श नहीं किया जा सका.

ओम बिरला से के सुरेश का मुकाबला
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी सांसद ओम बिरला के खिलाफ चुनाव लड़ रहे के सुरेश ने तृणमूल कांग्रेस से समर्थन मांगा है. वहीं कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव लड़ने के अचानक फैसले के बारे में समझाने के लिए तृणमूल कांग्रेस के दूसरे नंबर के नेता अभिषेक बनर्जी से भी मुलाकात की है.

इससे पहले वरिष्ठ तृणमूल नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि पार्टी से सलाह नहीं ली गई. उन्होंने एनडीटीवी को एक विशेष साक्षात्कार में बताया, "मैंने टीवी पर देखा तब पता चला. डेरेक ओ'ब्रायन आए और मुझसे पूछा तो मैंने कहा कि मुझसे इस बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है. कांग्रेस को स्पष्टीकरण देना चाहिए. इसका कारण वही बेहतर जानते हैं."

ये पूछे जाने पर कि क्या तृणमूल के सुरेश को समर्थन देने पर विचार करेगी, उन्होंने कहा, "हम एक बैठक करेंगे और चर्चा करेंगे. हमारे नेता फैसला लेंगे, ये पार्टी का निर्णय है."

के सुरेश लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार
विपक्ष ने के सुरेश को मैदान में उतारकर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के जरिए फैसला होने की स्थिति बना दी है. सुरेश को शुरू में प्रोटेम स्पीकर के रूप में चुने जाने की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा ने ओडिशा से अपने प्रमुख नेता भर्तृहरि महताब को चुना. इसके बाद सरकार द्वारा डिप्टी स्पीकर की विपक्ष की मांग ठुकराने के बाद विपक्ष ने के सुरेश को स्थायी पद के लिए मैदान में उतार दिया.

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कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि विपक्ष को रचनात्मक रूप से सरकार का समर्थन करना चाहिए, लेकिन वो कोई रचनात्मक सहयोग नहीं करना चाहते हैं. केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को स्पीकर पद पर आम सहमति बनाने का काम सौंपा गया था, लेकिन उन्होंने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को नहीं बुलाया, जो हमारे नेता का अपमान है."

राहुल गांधी ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, "उपसभापति का पद विपक्ष को मिलना चाहिए था."

इन परिस्थितियों में, कांग्रेस ने इस मुद्दे को आगे बढ़ाने का फैसला किया और समय सीमा से सिर्फ 10 मिनट पहले के सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में उतार दिया.

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