देश के हजारों मनरेगा मजदूरों को नहीं मिली मजदूरी, दिल्ली में कर रहे आंदोलन

केंद्र सरकार पर मनरेगा मजदूरों का 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया, मनरेगा मजदूर दिल्ली के जंतर मंतर पर कर रहे विरोध प्रदर्शन

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

देश भर के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत काम करने वाले हजारों मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली है. केंद्र सरकार पर मनरेगा मजदूरों का 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है. इसी के चलते अलग-अलग राज्यों के हजारों मनरेगा मजदूरों को जंतर मंतर की ओर रुख करना पड़ा है. नाराज मनरेगा मजदूरों को दिल्ली आकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है. देश भर के मनरेगा मजदूर बीते कुछ दिनों से दिल्ली के जंतर मंतर पर डटे हैं. इस धरने में रामफल और मिस्त्री देवी जैसी हजारों मजदूर देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हैं. 

सीतापुर से आई रामफल की मनरेगा की मजदूरी बकाया है जबकि राजस्थान के अलवर से आई मिस्त्री देवी को मनरेगा की बकाया मजदूरी के साथ फोटो अपलोड कराने वाले सिस्टम से दिक्कत है. रामफल देवी ने कहा कि, ''पिछले साल की मनरेगा मजदूरी हम लोगों की बकाया है. शहर की फैक्ट्रियों में काम नहीं है. गांव में मनरेगा मजदूरी करने के बाद पेमेंट नहीं होता है. क्या खाएंगे आप बताइए?''

राजस्थान के अलवर से आई मनरेगा मजदूर मिस्त्री देवी ने कहा कि, ''बड़ी दिक्कत है ऐप की फोटो आती नहीं है, ऐप खुलता नहीं तो पेमेंट मिलता नहीं है. जबकि पिछले साल का पेमेंट बाकी है. परिवार में आधा बीघा जमीन मिली है, उस पर तीन लड़के हैं. एक ने घर बनाया है.'' 

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बिहार से आई मीना देवी को भी छह महीने से मनरेगा की मजदूरी नहीं मिली है. भतीजे की वजह से इनको दो टाइम खाना मिल जाता है. मीना देवी ने कहा कि, ''छह महीने से मजूरी नहीं मिली है. भाई-भतीजा खिलाता है.'' 

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दरअसल कोरोना के वक्त केंद्र सरकार ने मनरेगा का बजट 70 हजार से एक लाख 11 हजार करोड़ तक बढ़ा दिया था. जानकारों का कहना है कि सरकार मनरेगा का बजट घटा रही है. साथ ही ऐप के जरिए फोटो अपलोड कराने के नियम से मजदूर परेशान हैं. बहुत सारे इलाके में फोटो अपलोड न होने से मजदूरी कट जाने का आरोप है. यही नहीं पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे राज्यों में नरेगा में भ्रष्टाचार के आरोप में केंद्र सरकार ने फंड ही नहीं दिया है. इसके चलते एक करोड़ से ज्यादा मजदूरों को सीधे तौर पर नुकसान हो रहा है.

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नरेगा संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि, ''कोरोना के वक्त एक लाख 11 हजार करोड़ का बजट बढ़ाया अब फिर 73 हजार करोड़ कर दिया. इस साल दो तिहाई बजट खत्म हो चुका है और अभी साल पड़ा है. यही वजह है कि पेमेंट डिले हो रहा है. मजदूरी भी नहीं बढ़ा रहे हैं.'' 

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मंहगाई के इस दौर में मनरेगा मजदूरों की मजदूरी राज्यों की कृषि मजदूरी दर से भी कम है.

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