सुप्रीम कोर्ट में सात जजों की संविधान पीठ ने आरक्षण के मुद्दे पर बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि जिन जातियों को लाभ मिला, उन्हें आरक्षण श्रेणी से बाहर निकलना चाहिए. आरक्षण का लाभ मिल गया हो तो उस वर्ग को अति पिछड़ों के लिए रास्ता तैयार करना चाहिए.
मंगलवार को सुनवाई के दौरान अनुसूचित जाति से संबंधित जस्टिस बीआर गवई ने कहा, एक विशेष पिछड़े वर्ग के भीतर, कुछ जातियां उस स्थिति और शक्ति तक पहुंच गई हैं, तो उन्हें बाहर निकल जाना चाहिए, लेकिन यह केवल संसद को तय करना है.
उन्होंने कहा कि, अब क्या होता है, SC/ST का कोई व्यक्ति IAP /IPS आदि में जाता है तो उसके बच्चों को वह नुकसान नहीं झेलना पड़ता जो अन्य SC समुदायों के व्यक्तियों को भुगतना पड़ता है. लेकिन फिर आरक्षण के आधार पर, वे दूसरी पीढ़ी और फिर तीसरी पीढ़ी के भी हकदार हैं.
जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि, एक विशेष वर्ग में कुछ उपजातियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है. वह उस श्रेणी में आगे भी हैं तो उन्हें आरक्षण से बाहर निकलकर जनरल कैटेगरी से मुकाबला करना चाहिए. आरक्षण का लाभ सिर्फ उन्हें मिलना चाहिए जो पिछड़ों में अभी भी पिछड़े हैं. जब एक बार आरक्षण का लाभ मिल चुका है तो उन्हें इससे बाहर निकलना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ SC-ST श्रेणियों के भीतर उप-वर्गीकरण की वैधता पर सुनवाई कर रही है.
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