"लूट और फूट कांग्रेस की ऑक्सीजन है...": MP के झाबुआ की रैली में पीएम मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने मध्‍य प्रदेश की झाबुआ रैली के दौरान मतदाताओं से भाजपा को 370 लोकसभा सीट जीतने के लिए पिछले चुनाव की तुलना में प्रत्येक बूथ पर 370 अतिरिक्त मत सुनिश्चित करने को कहा.

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झाबुआ:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में 7,500 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य की आहार अनुदान योजना के तहत लगभग दो लाख महिला लाभार्थियों को मासिक किस्त भी जारी की. पीएम मोदी ने इस अवसर पर झाबुआ में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि लूट और फूट कांग्रेस की ऑक्सीजन रही है. कांग्रेस अब अपने पापों के दलदल में फंस चुकी है, वो उससे निकलने की जितनी कोशिश करेगी उतना ही और धंसेगी. साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि मुझे यह सुनने को मिल रहा है कि इस बार बीजेपी अकेले लोकसभा चुनाव में 370 के पार जाने वाली है. 

कांग्रेस अब अपने पापों के दलदल में फंस चुकी

पीएम मोदी ने कहा, "हमारी सरकार मध्‍य प्रदेश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर खास ध्यान दे रही है. कांग्रेस सरकार के 10 वर्षों में MP को रेलवे के विकास के लिए जितना पैसा मिला, आज हम उससे 24 गुना ज्यादा पैसा मध्‍य प्रदेश के लिए भेज रहे हैं. सुना है कि इन दिनों मध्य प्रदेश कांग्रेस में अंदरखाने खूब भगदड़ भी मची हुई है. जनता की उपेक्षा करने वालों का यही हश्र होता है. लूट और फूट कांग्रेस की ऑक्सीजन रही है. कांग्रेस अब अपने पापों के दलदल में फंस चुकी है, वो उससे निकलने की जितनी कोशिश करेगी उतना ही और धंसेगी. नई नीतियों के जरिए, ईमानदार कोशिशों के जरिए, देश आज अपनी बेटियों को आगे बढ़ा रहा है. कुछ महीने पहले ही देश ने 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' पास करके लोकसभा और विधानसभा में महिला आरक्षण सुनिश्चित किया है. " 

"इन्‍होंने कभी आदिवासी समाज के विकास की चिंता की..."

पीएम मोदी ने विपक्ष की नीतियों पर हमला करते हुए कहा, "2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की छुट्टी हुई थी, 2024 के लोकसभा चुनाव में सफाया होना तय है. बीते वर्षों में मध्य प्रदेश ने दो अलग-अलग दौर देखे हैं- एक डबल इंजन सरकार का दौर और दूसरा कांग्रेस के जमाने का काला दौर! कम उम्र के युवाओं को शायद याद भी नहीं होगा, आज विकास के रास्ते पर तेजी से दौड़ रहा मध्य प्रदेश भाजपा सरकार से पहले देश के सबसे बीमारू राज्यों में गिना जाता था. मध्य प्रदेश को बीमारू बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह थी. गांव, गरीब और आदिवासी इलाकों को लेकर कांग्रेस का नफरत भरा रवैया! इन लोगों ने न कभी आदिवासी समाज के विकास की चिंता की न उसके सम्मान के बारे में सोचा.
 

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इनके लिए तो जनजातीय लोगों का मतलब केवल कुछ वोट होता था. इन्हें गांव, गरीब, पिछड़ा की याद तब आती थी, जब चुनाव की घोषणा होती थी. हमारे लिए जनजातीय समाज वोट बैंक नहीं,  देश का गौरव है. आपका सम्मान भी और आपका विकास भी... ये मोदी की गारंटी है- PM मोदी  

देश भर में एकलव्य आवासीय स्कूल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "आपके सपने, आपके बच्चों के सपने, नौजवानों के सपने... ये मोदी का संकल्प है. गुजरात में मैंने देखा था कि आदिवासी पट्टों में स्कूलों की कमी के कारण बच्चों को स्कूल जाने के लिए कई किलोमीटर चलना पड़ता था. मैं मुख्यमंत्री बना तो इन पट्टों में मैंने स्कूल खुलवाए. अब आदिवासी बच्चों के लिए मैं देश भर में एकलव्य आवासीय स्कूल खुलवा रहा हूं."

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मध्य प्रदेश से जुड़ा है, उतना ही गुजरात से भी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "झाबुआ जितना मध्य प्रदेश से जुड़ा है, उतना ही गुजरात से भी जुड़ा है. झाबुआ और इस पूरे इलाके की गुजरात से केवल सीमा ही नहीं लगती, बल्कि दोनों तरफ के लोगों के दिल भी मजबूती से जुड़े हुए हैं. गुजरात में रहते हुए मुझे यहां के जनजीवन से, यहां की परंपराओं से करीब से जुड़ने का अवसर मिला."

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इस बार बीजेपी अकेले 370 के पार...

पीएम मोदी ने विपक्षियों पर हमला बोलते हुए कहा, "मैं यहां लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार करने नहीं आया हूं, जैसा कि विपक्षी कह रहे हैं. विपक्ष यह भी कह रहा है कि इस बार एनडीए 400 पार... लेकिन मुझे यह भी सुनने को मिल रहा है कि इस बार बीजेपी अकेले 370 के पार जाने वाली है. राज्य में कई विकासात्मक परियोजनाएं दर्शाती हैं कि डबल इंजन सरकार सभी विकासात्मक कार्यों के लिए दोगुनी गति से काम कर रही है..." 

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गोपालपुरा में होने वाले सम्मेलन में देश भर से आदिवासी हिस्सा ले रहे हैं. आगामी कुछ महीनों में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस साल राज्य में पीएम मोदी की यह पहली यात्रा है. देशभर के राज्यों में से आदिवासियों के लिए सबसे अधिक लोकसभा सीट मध्य प्रदेश में आरक्षित हैं. मध्य प्रदेश में आदिवासियों के लिए छह सीट आरक्षित हैं. ऐसे में पीएम मोदी का झाबुआ दौरा आदिवासी वोटरों को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. 

आहार अनुदान योजना के तहत विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों की महिलाओं को पौष्टिक भोजन के लिए 1,500 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जाते हैं. 

मोदी लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए नहीं आया है...

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "यहां आपके बीच आने से पहले मैंने देखा कि मेरी इस यात्रा को लेकर खूब चर्चाएं भी हो रही हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि मोदी मध्य प्रदेश में झाबुआ से लोकसभा की लड़ाई का आगाज करेगा. मैं बताना चाहता हूं कि मोदी लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए नहीं आया है. मोदी तो सेवक के तौर पर ईश्वर रूपी MP की जनता-जनार्दन का आभार करने आया है. मध्य प्रदेश में विधानसभा के नतीजों से आप पहले ही बता चुके हैं लोकसभा के लिए आपका मूड क्या रहने वाला है. इसलिए इस बार विपक्ष के बड़े-बड़े नेता पहले से ही कहने लगे हैं- 2024 में 400 पार, फिर एक बार मोदी सरकार."


हमारे लिए वोट नहीं, जिंदगी के मायने

बीजेपी के विकास कार्यों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "कांग्रेस ने इतने वर्षों में 100 ही एकलव्य स्कूल खोले थे, जबकि भाजपा की सरकार ने अपने 10 साल में ही इससे चार गुना ज्यादा एकलव्य स्कूल खोल दिए हैं. एक भी आदिवासी बच्चा शिक्षा के अभाव में पीछे रह जाए, ये मोदी को मंजूर नहीं है. हमारा आदिवासी समाज हजारों वर्षों से वन सम्पदा से अपनी रोजी रोटी चलाता है. कांग्रेस के समय आदिवासियों के उस अधिकार पर कानूनी पहरे लगा दिये गए थे. वन संपदा कानून में बदलाव करके हमारी सरकार द्वारा आदिवासी समाज को वन भूमि से जुड़े अधिकार लौटाए गए. इतने वर्षों से आदिवासी परिवारों में सिकल सेल एनीमिया हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जान ले रही थी. केंद्र और राज्यों में दोनों जगह कांग्रेस ने इतने वर्ष सरकार चलाई, लेकिन उन्होंने असमय मृत्यु को प्राप्त होते जनजातीय युवाओं की, बच्चों की चिंता नहीं की. लेकिन हमारे लिए वोट नहीं जिंदगी मायने रखती है. हमने वोट बैंक के लिए नहीं, आदिवासी समाज के स्वास्थ्य के लिए सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ अभियान शुरू किया. ये कांग्रेस और हमारी नीयत में फर्क बताता है. आज जो सबसे वंचित है, सबसे पिछड़ा है, हमारी सरकार में वो सबसे पहली प्राथमिकता है. सबसे पिछड़े जनजातीय समूहों के लिए हमने पीएम-जनमन योजना शुरू की. जो जनजातीय समाज अब तक विकास की मुख्य धारा से कटा हुआ था, जनमन योजना के तहत उनका तेज विकास शुरू किया गया है. इसका लाभ यहां इस क्षेत्र की बैरा, भारिया और सहरिया जैसे जनजातीय समूहों को होगा.

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