कांग्रेस (Congress) ने गुरुवार को कहा कि आदर्श संहिता में बदलाव संबंधी निर्वाचन आयोग का हालिया प्रस्ताव प्रतिस्पर्धी राजनीति की भावना के खिलाफ है और यह ‘‘लोकतंत्र के ताबूत में और एक कील'' साबित होगा. निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से कहा है कि वे चुनावी वादों को पूरा करने को लेकर वित्तीय स्थिति के संबंध में मतदाताओं को सही जानकारी उपलब्ध कराएं क्योंकि आधी-अधूरी जानकारी का दूरगामी प्रभाव हो रहा है. निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों से 19 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा है.
इस घटनाक्रम के संबंध में सवाल करने पर कांग्रेस में संचार विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह निर्वाचन आयोग का अधिकार क्षेत्र नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यह प्रतिस्पर्धी राजनीति की भावना के खिलाफ है और यह भारत के लोकतंत्र के ताबूत में और एक कील साबित होगा.'' रमेश ने कहा कि अगर ऐसी नौकरशाही वाली सोच होती तो पिछले दशकों में कल्याण और सामाजिक विकास की कोई योजना धरातल पर उतर कर सफल नहीं हुई होती. आयोग के प्रस्ताव पर कई राजनीतिक दलों ने अपना विरोध जताया है और वामपंथी दलों का कहना है कि नीति निर्माण को ‘नियमित' करना निर्वाचन आयोग का काम नहीं है.