"ये स्वीकार नहीं..." : जजों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कहा

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह वर्तमान सचिव (न्याय) और सचिव (प्रशासन और नियुक्ति) को फिलहाल ‘‘सामान्य नोटिस’’ जारी कर रही है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है. 

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत की कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गये नामों सहित उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अनुशंसित नामों को केंद्र द्वारा लंबित रखने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह ‘अस्वीकार्य' है. 

शीर्ष अदालत ने कहा कि नामों पर कोई निर्णय न लेना ऐसा तरीका बनता जा रहा है कि उनलोगों को अपनी सहमति वापस लेने को मजबूर किया जाए, जिनके नामों की सिफारिश उच्चतर न्यायपालिका में बतौर न्यायाधीश नियुक्ति के लिए की गई है. 

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कहा, ‘‘नामों को बेवजह लंबित रखना स्वीकार्य नहीं है.'' पीठ ने केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के सचिव (न्याय) को नोटिस जारी करके शीर्ष अदालत के 20 अप्रैल 2021 के आदेश के अनुरूप समय पर नियुक्ति के लिए निर्धारित समय सीमा की ‘‘जानबूझकर अवज्ञा'' करने के आरोप वाली याचिका पर जवाब मांगा.

Advertisement

एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु द्वारा अधिवक्ता पई अमित के माध्यम से दायर याचिका में उच्चतर न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में ‘‘असाधारण देरी' का मुद्दा उठाया है. इसने 11 नामों का उल्लेख किया है, जिनकी सिफारिश की गई थी और बाद में ये नाम दोबारा भी भेजे जा चुके हैं. 

Advertisement

पीठ ने कहा, ‘‘अगर हम विचार के लिए लंबित मामलों की स्थिति को देखें, तो सरकार के पास ऐसे 11 मामले लंबित हैं, जिन्हें कॉलेजियम ने मंजूरी दे दी थी और अभी तक उनकी नियुक्ति की प्रतीक्षा की जा रही है.'' पीठ ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा दोबारा भेजे गए नामों सहित अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में देरी के कारण कुछ लोगों ने अपनी सहमति वापस ले ली है और (न्यायिक) तंत्र ने पीठ में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति के शामिल होने का अवसर खो दिया है.

Advertisement

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम पाते हैं कि नामों को रोककर रखने का तरीका इन लोगों को अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर करने का एक तरीका बन गया है, ऐसा हुआ भी है.'' याचिकाकर्ता के वकील की इस बात का भी संज्ञान लिया गया कि जिन व्यक्तियों का नाम दोबारा भेजे जाने के बाद भी लंबित था, उनमें से एक का निधन हो गया है. 

Advertisement

पीठ ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी है कि शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए पांच सप्ताह से अधिक समय पहले की गई सिफारिश आज भी लंबित है. पीठ ने कहा, ‘‘हम वास्तव में इसे समझ पाने या इसका मूल्यांकन करने में असमर्थ हैं.''

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह वर्तमान सचिव (न्याय) और सचिव (प्रशासन और नियुक्ति) को फिलहाल ‘‘सामान्य नोटिस'' जारी कर रही है. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है. 

यह भी पढ़ें -
-- "पूरी तरह अस्वीकार्य" : राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के SC के आदेश पर कांग्रेस
-- केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, जजों की नियुक्ति न करने पर जताई नाराजगी

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
India-Pakistan Tension: PM Modi का साफ संदेश, कहा- 'वहां से गोली चलेगी तो यहां से गोला चलेगा'
Topics mentioned in this article