अंतरिक्ष से कुछ ऐसे हो रही है शुभांशु शुक्ला की वापसी, जानें सारा प्रॉसेस

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत उनकी टीम के चारों अंतरिक्षयात्री 18 दिन अंतरिक्ष में गुजारने के बाद अब धरती पर वापस आ रहे हैं.

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  • भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर 18 दिन बिताने के बाद 14 जुलाई को वापसी शुरू की.
  • ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट आईएसएस से अनडॉक होकर पृथ्वी की ओर बढ़ता है, जिसमें प्रैशराइजेशन और पावर सप्लाई कटौती जैसे जटिल प्रक्रियाएं शामिल हैं.
  • स्पेसक्राफ्ट की गति बढ़ाने के लिए Draco thrusters का उपयोग किया जाता है, जिससे वह आईएसएस से सुरक्षित दूरी पर पहुंचता है.
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नई दिल्‍ली:

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत उनकी टीम के चारों अंतरिक्षयात्री 18 दिन अंतरिक्ष में गुजारने के बाद अब धरती पर वापस आ रहे हैं. अंतरिक्ष में कई कामयाब प्रयोगों के बाद टीम ने 14 जुलाई को धरती की तरफ वापसी शुरू कर दी है और 22 घंटे बाद यानी 15 जुलाई को ये टीम धरती पर लौट आएगी. अंतरराष्‍ट्रीय स्‍पेस स्‍टेशन (आईएसएस) से शुभांशु और उनकी टीम की वापसी का चरण बेहद अहम होने वाला है. शुभांशु अपनी टीम के साथ जिस ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए उसी से वापस लौटेंगे. स्पेसक्राफ्ट का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ना जितना जटिल है उतना ही जटिल उससे अलग होना भी है. 

कैसे हुआ होगा अनडॉक 

इस साल मार्च में ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से सुनीता विलियम्स और उनकी टीम ने वापसी की थी. शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम की वापसी भी ठीक इसी तरह से होने वाली है. उनका स्पेस शिप ड्रैगन भी ठीक उसी तरह से आईएसएस से अलग हुआ यानी अनडॉक हुआ. अनडॉक होने से पहले सभी यात्री स्पेसक्राफ्ट में बैठते हैं और हैच को बंद कर प्रैशराइज किया जाता है ताकि उसके भीतर दबाव सामान्य हो सके. इसके बाद उन सभी तारों को अलग किया गया होगा जो ड्रैगन को पावर सप्लाई कर रहे थे. इसके बाद फिर उन सभी 12 हुक्स को वापस लिया गया होगा जिनके जरिए ड्रैगन को हार्ड कैप्च्योर किया गया था. इस तरह ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट एक बार फिर सॉफ्ट कैप्च्योर वाली स्थिति में पहुंच जाता है ठीक वैसे ही जैसे दो चुंबक आपस में जुड़े हों. 

ऐसे बढ़ेगी ड्रैगन की स्‍पीड 

इसके बाद ड्रैगन अपनी बॉडी पर लगे 12 Draco thrusters को स्टार्ट करता है जिसे बर्न जीरो कहा जाता है. इसे बस कुछ ही क्षणों के लिए किया गया होगा ताकि ये ड्रैगन को स्पेस स्टेशन के डॉकिंग पोर्ट से अलग कर सकें. स्पेसक्राफ्ट के कुछ दूर जाने के बाद Departure Burn One की स्टेज आती है जिसे स्पेसक्राफ्ट की स्‍पीड बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस दौरान अपनी दिशा को ठीक करने और सही ऑर्बिट में पहुंचने के लिए ड्रैगन अपने थ्रस्टर्स को भी कुछ-कुछ देर के लिए ऑन करता है. 

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फिर आएगा सबसे मुश्किल पड़ाव 

शुभांशु और उनकी टीम को लेकर ड्रैगन जब ऑर्बिट में पहुंचेगा तो उसकी वापसी के दौर का सबसे मुश्किल भरा और जटिल समय होगा. इस समय वह Atmosphere यानी पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करता है. वातावरण में प्रवेश करने के साथ ही स्पेस शिप अपने निचले हिस्से यानी ट्रंक सेक्शन को अलग कर देता है जो वातावरण में नीचे गिरते हुए जल जाता है. फिर कुछ देर के लिए स्पेस कैप्सूल जिसमें अंतरिक्ष यात्री होते हैं उसके थ्रस्टर्स ऑन हो जाते हैं. इस तरह से स्पेस कैप्सूल को उस जगह पहुंचाया जाता है जहां से वो नीचे अपनी तय जगह पहुंचने वाले रास्ते पर आ जाए. 

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वापसी का सबसे अहम पल 

स्पेस कैप्सूल जब धरती के वातावरण में नीचे की ओर तेजी से आता है तो उसकी रफ्तार 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटा तक हो जाती है. इस दौरान कैप्सूल को भारी तापमान और दबाव का सामना करना पड़ता है. इस दौरान स्पेस शिप को उसकी हीट शील्ड इस गर्मी से बचाती हैं. स्पेस शिप के आसपास लगभग आग सी होती है. इससे उसके चारों ओर प्लाज्‍मा बन जाता है जिससे कुछ देर के लिए स्पेस कैप्सूल का संपर्क अर्थ स्टेशन से कट जाता है. यही वो क्षण होते हैं जब सब दम साध कर फिर से कनेक्शन के बहाल होने का इंतजार करते हैं. ये वापसी का सबसे अहम हिस्सा होता है. 

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आपको बता दें कि यही वो दौर था जब कल्पना चावला और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर आ रहा स्पेसशिप कोलंबिया जल उठा था. उस स्पेस शिप के एक्सटर्नल टैंक की एक हीट शील्ड लॉन्च के वक्‍त ही निकल गई थी और उसी कारण लौटते वक्त कोलंबिया स्पेस शिप भारी गर्मी को नहीं झेल पाया और आग का गोला बन गया. लेकिन तब से टेक्नॉलजी काफी आगे निकल चुकी है. 

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दोपहर 3 बजे होगी वापसी 

अब सबकी नजरें ड्रैगन स्पेस शिप की कामयाब वापसी पर लगी हैं. सबसे मुश्किल क्षणों के गुज़रने के बाद स्पेस शिप अपनी रफ्तार घटाने के लिए पैराशूट ऑन करेगा. पहली बार दो और फिर चार पैराशूट ऑन होंगे जो स्पेस कैप्सूल की गति काफ़ी कम कर देंगे. फिर 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर ये स्पेसक्राफ्ट स्प्लैश डाउन करेगा यानी समुद्र में उतरेगा. तो सबको इंतज़ार है एक कामयाब दौरे के बाद शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम के सकुशल लौटने का.