NEET-PG काउंसलिंग में अब नहीं होगी सीट ब्लॉकिंग, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीट ब्लॉकिंग की गड़बड़ियों से सीटों की वास्तविक उपलब्धता विकृत हो जाती है, उम्मीदवारों के बीच असमानता बढ़ती है और अक्सर प्रक्रिया योग्यता से अधिक संयोग से संचालित होती है. 

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NEET-PG काउंसलिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट कोर्ट का बड़ा फैसला
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेस में दाखिले के दौरान चल रही सीट ब्लॉकिंग जैसी अनियमितताओं पर सख्ती दिखाते हुए NEET-PG काउंसलिंग प्रक्रिया में सुधार के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सीट ब्लॉकिंग से निचली रैंकिंग वाले उम्मीदवारों को फायदा जबिक उच्च रैंकिंग वाले उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाता है. सीट ब्लॉकिंग गहरी प्रणालीगत खामियों को भी दर्शाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी के लिए काउंसलिंग के संचालन के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए.जस्टिस  जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने ये फैसला सुनाया है.पीठ ने कहा कि सीट ब्लॉकिंग की कुप्रथा सीटों की वास्तविक उपलब्धता को विकृत करती है.उम्मीदवारों के बीच असमानता को बढ़ावा देती है और अक्सर प्रक्रिया को योग्यता की तुलना में संयोग से संचालित होने वाली प्रक्रिया में बदल देती है.

कोर्ट ने कहा कि सीट ब्लॉकिंग केवल एक अलग-थलग गलत काम नहीं है. यह खंडित शासन, पारदर्शिता की कमी और कमजोर नीति प्रवर्तन में निहित गहरी प्रणालीगत खामियों को दर्शाता है. NEET- PG काउंसलिंग में सीट ब्लॉकिंग तब होती है जब उम्मीदवार अस्थायी रूप से सीटें स्वीकार करते हैं.लेकिन बाद में अधिक पसंदीदा विकल्प प्राप्त करने के बाद उन्हें छोड़ देते हैं.

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कोर्ट ने कहा कि इससे वे सीटें पहले राउंड में अनुपलब्ध रह जाती हैं और बाद के चरणों में ही खुलती हैं, जिससे उच्च रैंक वाले उम्मीदवारों को नुकसान होता है, जो पहले से ही कम पसंदीदा विकल्पों के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं. राज्य काउंसलिंग में देरी, अंतिम समय में सीटें जोड़ना या हटाना, और कोटा के बीच समन्वय की कमी से समस्या और बिगड़ जाती है. परिणामस्वरूप, निम्न-श्रेणी के उम्मीदवार जोखिम उठाकर बेहतर सीटें प्राप्त कर सकते हैं, जबकि योग्यता-आधारित चयन कमज़ोर हो जाता है.

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