संसद में नियमों को लेकर जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खरगे के बीच हुई तीखी नोकझोंक

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने तीखा पलटवार करते हुए राज्यसभा के सभापति से राजनीति में शामिल नहीं होने को कहा.

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राज्यसभा में बहस तब शुरू हुई जब जयंत चौधरी ने अपने दादा को भारत रत्न दिए जाने पर धन्यवाद दिया.
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के नेता जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के एनडीए से हाथ मिलाने की चर्चा और इससे इंडिया (INDIA) गठबंधन में पैदा हुई बेचैनी का असर शनिवार को संसद में दिखाई दिया. इसी के चलते कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के बीच तीखी नोकझोंक हुई. 

जब उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ कांग्रेस पर भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति का "अपमान" करने का आरोप लगाते दिखे, तो खरगे अपना आपा खो बैठे और उपराष्ट्रपति से राजनीति में शामिल न होने को कहा. इस पर धनखड़ ने जवाब दिया, "क्योंकि मैं किसान समुदाय से आता हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं कमजोर अध्यक्ष हूं. मैंने बहुत कुछ सहन किया है."

यह बहस तब शुरू हुई जब राज्यसभा में इंडिया गठबंधन की सदस्य आरएलडी के नेता जयंत चौधरी उठे और बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह घोषणा करने के लिए धन्यवाद देना शुरू किया कि उनके दादा चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत भारत रत्न प्रदान किया जाएगा. कांग्रेस नेताओं ने उनके भाषण पर आपत्ति जताई. इस पर धनखड़ ने खरगे से कहा कि या तो "अपने लोगों को नियंत्रित करें या खड़े होकर सदन को संबोधित करें."

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जयंत चौधरी ने कहा कि वे और कांग्रेस इस बात से खुश हैं कि पूर्व प्रधानमंत्रियों नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और हरित क्रांति के जनक डॉ एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है. उन्होंने तीनों व्यक्तित्वों को "सेल्यूट" किया. खरगे को आश्चर्य हुआ कि चौधरी को इस मुद्दे पर बोलने की इजाजत कैसे दी गई.

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'विवेक का उपयोग विवेकपूर्वक करें'

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि, "जब भी हम किसी चीज पर चर्चा करना चाहते हैं, तो आप हमेशा हमसे पूछते हैं कि हमें किस नियम के तहत ऐसा करने की इजाजत दी जानी चाहिए. मैं आपसे वही सवाल पूछना चाहता हूं, उन्हें (जयंत चौधरी को) किस नियम के तहत बोलने की अनुमति दी गई? यदि ऐसा ही होता है तो आपको हमेशा हमें भी अनुमति देनी चाहिए. एक तरफ आप नियमों के बारे में बात करते हैं, और दूसरी तरफ आप जिसे भी चाहते हैं (बोलने के लिए) इजाजत देते हैं.''

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कांग्रेस अध्यक्ष खरगे, जो कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी हैं, ने कहा, "आपके पास विवेक है, लेकिन आपको उस विवेक का उपयोग बहुत विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए, न कि तब जब आप चाहें."

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इसके बाद राज्यसभा सभापति ने खरगे को टोकते हुए कहा, "जिस तरह से आपके लोग...जब चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने पर चर्चा चल रही थी...मैं शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहता."

नाराज होकर खरगे ने गरजते हुए कहा, "राजनीति न करें. मैंने कहा कि हम उन सभी लोगों को सलाम करते हैं जिन्होंने इस देश के लिए काम किया है. चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो, कोई भी जाति और पंथ हो, हम उन्हें सलाम करते हैं. लेकिन जिस तरह से चर्चा चल रही है, न तो आप नियमों का पालन कर रहे हैं और न ही इस एजेंडे को चर्चा के लिए लाए हैं. हम सभी इसमें भाग ले सकते थे."

उन्होंने कहा, "लेकिन ऐसा नहीं किया गया. यह उचित नहीं है. यह अच्छा नहीं है. यदि आप नियम पालन कराना चाहते हैं, तो आपको नियम का पालन करना चाहिए."

'आपने मेरा दिल दुखाया है'

इस हंगामे के बाद धनखड़ ने जवाब दिया, "क्योंकि मैं किसान समुदाय से आता हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि मैं कमजोर अध्यक्ष हूं. मैंने बहुत कुछ सहन किया है. आप मेरे बारे में कुछ भी कहते हैं, आप आदर्श का पालन नहीं करते हैं... आप मेरे खिलाफ किसी भी भाषा का प्रयोग करें. कभी-कभी आप एक शिक्षक की तरह व्यवहार करते हैं, जैसे कि मैं एक छात्र हूं." उन्होंने कहा, "यह एक संवेदनशील क्षण है. आपने मेरा दिल दुखाया है."

राज्यसभा के सभापति ने कहा कि उन्होंने "बिना किसी नियम को देखे" इसरो वैज्ञानिकों और अन्य लोगों, जिन्होंने  देश का गौरव बढ़ाया है, को सम्मानित करने के कई सदस्यों के अनुरोध का सम्मान किया है. उन्होंने कहा, "अब विपक्ष के नेता मुझसे सवाल कर रहे हैं कि मैं किस नियम के तहत चाहता हूं कि कोई चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की सराहना करे."

जब खरगे ने टोका, तो धनखड़ ने कहा, "इस भाषा का प्रयोग न करें, सर. मैं चौधरी चरण सिंह का अपमान बर्दाश्त नहीं करूंगा... वह बेदाग सार्वजनिक जीवन, किसानों के प्रति अडिग प्रतिबद्धता के पक्षधर रहे हैं."

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