प्रोटेम स्पीकर चुनने का कानून में नहीं है कोई प्रावधान, तो कैसे होती है नियुक्ति? जानें

लोकसभा के पहले अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर ने परंपरा स्थापित की थी कि सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी दी जाएगी.

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सदन के वरिष्ठ सदस्य को बनाया जाता है प्रोटेम स्पीकर.

लोकसभा के 18वें सत्र से पहले भर्तृहरि महताब को राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई.  इस समारोह का आयोजन राष्ट्रपति भवन में किया गया था. अब महताब ही नए सांसदों को शपथ दिलाएंगे. वह लगातार 10-12 घंटे तक शपथ दिलवाएंगे. इस दौरान सभापति भी उनकी मदद करेंगे.

बता दें कि आज 18वीं लोकसभा का सत्र शुरू हो रहा है हालांकि, भर्तृहरि महताब के प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने को लेकर विपक्ष ने अपना रुख स्पष्ट किया था और कहा था कि वो इस फैसले से खुश नहीं हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रोटेम स्पीकर को कैसे चुना जाता है और इसका क्या तरीका है? अगर आप यह नहीं जानते हैं तो हम आपको यहां इसके बारे में सारी डिटेल्स देने वाले हैं. 

राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी बताते हैं कि प्रोटेम स्पीकर के लिए कानून और प्रक्रिया में कोई प्रावधान नहीं है. लोकसभा के पहले अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर ने परंपरा स्थापित की थी कि सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को ही प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी दी जाएगी. अगर कोई वरिष्ठ सदस्य है और वह मंत्रिमंडल में आ गया है, तो फिर उसके बाद दूसरे वरिष्ठ सदस्य को यह पद दिया जाएगा.

वरीयता का मतलब क्या?

प्रोटेम स्पीकर के लिए वरीयता का क्रम कंटिन्यूटी में गिना जाता है. कोई अगर सात बार सांसद चुना गया है और बीच में एक बार चुनाव हारे हैं तो ऐसे में छह बार लगातार संसद पहुंचने वाले को प्रोटेम स्पीकर चुना जाता है. 

10-12 घंटे तक सांसदों को शपथ दिलवाते हैं प्रोटेम स्पीकर

राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी बताते हैं प्रोटेम स्पीकर विपक्ष का स्पीकर भी बन सकता है. उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा में भी विपक्ष के प्रोटेम स्पीकर बने थे. सभी अपनी वरिष्ठता और कर्तव्य का निर्वहन करते हैं. वे राष्ट्रपति या फिर राज्यपाल के निवास पर अपनी शपथ लेते हैं. शपथग्रहण के बाद वे सभापति तालिका भी बनाते हैं. लगातार 10-12 घंटे सांसदों को शपथ दिलाने में सभापति उनकी मदद करते हैं. इसके लिए सभापति को भी शपथ दिलाई जाती है. 

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