बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुरुवार को जब ये पूछा गया कि राज्यसभा के चुनाव में क्या केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को फिर उम्मीदवारी मिलेगी तो उल्टे उन्होंने मीडिया को नसीहत दे डाली कि आप लोगों को प्रश्न पूछने की कोई ज़रूरत नहीं हैं . नीतीश कुमार , बिहार विधान सभा परिसर में अनिल हेगड़े के नामांकन के बाद बात कर रहे थे. निश्चित रूप से हेगड़े जैसे पार्टी के पुराने कार्यकर्ता को दो साल के संक्षिप्त टर्म के लिए ही उम्मीदवार बनाये जाने के बाद हो रहे तारीफ़ से नीतीश कुमार काफ़ी खुश दिख रहे थे क्योंकि उनके कट्टर आलोचकों ने भी उनके इस कदम का स्वागत किया है .
लेकिन जैसे ही राज्य सभा के नियमित अवधि वाले सीट पर क्या केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को फिर भेजेंगे सवाल हुआ तो पहले तो नीतीश ने कहा कि रेग्युलर वाले में कुछ दिन के बाद बैठकर सब निर्णय ले लेंगे और उस पर निर्णय कुछ दिन बाद होगा. और इसका फ़ैसला सब लोग करेंगे और अंत में मीडिया को कहा कि आप लोगों को प्रश्न पूछने की कोई ज़रूरत नहीं हैं .
इससे पूर्व बुधवार को जब दिल्ली में पत्रकारों ने केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह को घेरकर उनकी उम्मीदवारी के सम्बंध में सवाल किया था तो वो पत्रकारों से ख़फ़ा हो गये थे. जिससे साफ़ था कि अपनी तीसरी बार उम्मीदवारी को लेकर वो भी बहुत आत्मविश्वास से भरे नहीं हैं. उन्हें मालूम है कि नीतीश उनसे पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान पहले भाजपा के साथ सीटों के तालमेल और कई विवादास्पद उम्मीदवारों के चयन के कारण खुश नहीं हैं . इसके अलावा जब से वो केंद्रीय मंत्री बने हैं अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह उनका पत्ता काटने में लगे हैं .
हालांकि जानकारों का मानना हैं कि फ़िलहाल नीतीश आरसीपी सिंह का टिकट काटकर अनायास विवाद शुरू नहीं करेंगे क्योंकि जबसे ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं पार्टी की सचाई यही हैं कि गुटबाज़ी बढ़ी है . ललन सिंह अध्यक्ष होने के बाबजूद जहां तक दौरों का सवाल हैं तो अपने संसदीय क्षेत्र से अधिक कहीं नहीं जाते.
अगर आरसीपी सिंह का राजनीतिक प्रबंधन ख़राब था तो ललन सिंह के क्षेत्र में भी पार्टी का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था. हाल के विधान परिषद चुनाव में भी मुंगेर सीट से जदयू को हार का सामना करना पड़ा है. विधान परिषद चुनाव में विजेता उम्मीदवार राजद के ललन सिंह के भूमिहार जाति से हैं जो इस बात का प्रमाण हैं कि उनके जाति के लोग भी उनके संसदीय क्षेत्र में बात नहीं सुनते.
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