देश के अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या कम से कम 30 प्रतिशत बढ़ाने की जरूरत : नीति आयोग रिपोर्ट

आयोग ने ‘भारत में वित्तपोषण के विभिन्न स्रोतों के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल की पुनर्कल्पना’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह भी कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों में भारत का स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च सबसे कम है.

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रिपोर्ट के अनुसार, देश में अस्पतालों की कुल स्वास्थ्य देखभाल बाजार में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
नई दिल्ली:

देश के अस्पतालों में करीब 65 प्रतिशत बिस्तर लगभग 50 प्रतिशत आबादी की जरूरतों को पूरा करते हैं. लोगों के लिये समान रूप से स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित करने के लिये बिस्तरों की संख्या में कम-से-कम 30 प्रतिशत वृद्धि किये जाने की जरूरत है. यह बात नीति आयोग की रिपोर्ट में कही गयी है. आयोग ने ‘भारत में वित्तपोषण के विभिन्न स्रोतों के माध्यम से स्वास्थ्य देखभाल की पुनर्कल्पना' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह भी कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों में भारत का स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च सबसे कम है.

इसमें कहा गया है, ‘‘यह उल्लेखनीय है कि देश में लगभग 65 प्रतिशत अस्पताल के बिस्तर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और केरल में केंद्रित लगभग 50 प्रतिशत आबादी की जरूरतों को पूरा करते हैं.''

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दूसरी तरफ, 21 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों की अन्य 50 प्रतिशत आबादी की केवल 35 प्रतिशत अस्पतालों के बिस्तरों तक पहुंच है. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘यह बताता है कि देश के हर हिस्से में सभी नागरिकों को समान रूप से स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या कम-से-कम 30 प्रतिशत बढ़ाये जाने की जरूरत है.''

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इस मामले में विभिन्न स्रोतों यानी मिश्रित वित्तपोषण का रुख अपनाया जा सकता है. इसमें सामाजिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिये सार्वजनिक और परमार्थ स्रोतों से जुटाये गये धन का उपयोग अतिरिक्त निजी निवेश जुटाने में किया जा सकता है.

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रिपोर्ट के अनुसार, देश में अस्पतालों की कुल स्वास्थ्य देखभाल बाजार में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसमें कहा गया है, ‘‘वित्त वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र का मूल्य 61.79 अरब डॉलर था और 2023 तक इसके बढ़कर 132 अरब डॉलर पहुंच जाने का अनुमान है.''

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स्वास्थ्य बीमा का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) देश में स्वास्थ्य बीमा की पहुंच 34 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर सकती है. इसमें कहा गया है कि इससे अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज कराने की मांग बढ़ेगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र पर व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.6 प्रतिशत है. इसमें सार्वजनिक व्यय और लोगों की जेबों से होने वाला खर्च शामिल हैं. केंद्र और राज्यों का संयुक्त रूप से खर्च जीडीपी का 1.29 प्रतिशत है, जो ब्रिक्स देशों में सबसे कम है. रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिक्स देशों में ब्राजील सबसे अधिक 9.2 प्रतिशत, दक्षिण अफ्रीका 8.1 प्रतिशत, रूस 5.3 प्रतिशत और चीन इस मद में पांच प्रतिशत खर्च करता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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