गुरुग्राम: महामारी के चलते डेढ़ साल से बेरोजगार थे ट्रैवल एजेंट, अब सड़क पर बेच रहे हैं खाना

अभिषेक के मुताबिक उनके घर में बुज़ुर्ग माता पिता और पत्नी हैं,घर की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है.

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हाथ में तख्ती लिए तेज धूप में घंटों खड़े रहते हैं अभिषेक अग्रवाल.
नई दिल्ली:

गुरुग्राम में एक ट्रेवल एजेंट के पास कोरोना महामारी के चलते पिछले डेढ़ साल से काम नहीं था, उसकी आर्थिक हालत खराब थी, इसी बीच उसकी एक जानकार ने उसे कार दी और अब ट्रेवल एजेंट उसी कार में खाना रखकर बेचता है. अभिषेक अग्रवाल ने गुरुग्राम में 13 साल तक ट्रेवल एजेंट के तौर पर काम किया, लेकिन अब गुरुग्राम में ही सड़क पर वो हाथ में तख्ती लिए तेज धूप और गर्मी में ऐसे ही घंटों खड़े रहते हैं. कोई ग्राहक आता है तो उसे खाना देते हैं, उनका पूरा किचन इसी गाड़ी में है. अभिषेक पिछले साल तक इस पेशे में नहीं थे. बीते साल लॉकडाउन के बाद उनका ट्रेवल का काम बंद हो गया तो पहले टिफिन सर्विस शुरू की. जब वो भी नहीं चला तो पिछले महीने वो इस गाड़ी में रखकर खाना बेचने लगे. अभिषेक अग्रवाल का कहना है कि वजह वही लॉकडाउन है. उसके  बाद ही मैंने इस काम की शुरूआत की.

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अभिषेक के मुताबिक उनके घर में बुज़ुर्ग माता पिता और पत्नी हैं,घर की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है,जब वो आर्थिक तंगी के जूझने लगे तो उन्हें खाना बनाकर बेचने का आइडिया आया,शुरुआत में टिफिन सर्विस शुरू की लेकिन स्कूल ,कॉलेज बन्द होने के चलते वो ज्यादा दिन नहीं चल सकी,फिर उनकी एक जानकर रिया सूरी ने उन्हें ये कार देकर मदद की,अब इसी कार में अभिषेक खाना बेचते हैं,हालांकि अभिषेक को पहले खाना बनाना नहीं आता था.अभिषेक के मुताबिक उनका पिछला काम शुरू हुआ तो उसे भी करेंगे लेकिन इसे नहीं छोड़ेंगे.

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मुझे अपने पुराने काम से प्यार है लेकिन अब मैं पुराना काम तो करूँगा लेकिन अपना नया काम नहीं छोडूंगा. अभिषेक को इस तरह सड़क पर खड़ा देखकर कई लोग उनकी मदद के लिए भी आते हैं. गुरुग्राम निवासी राजेंद्र बोकन का कहना है कि मैं यहाँ से रोज गुजरता हूँ, ये ऐसे ही हाथ में तख्ती लिए खड़े रहते हैं. मैं इनको ये बता  रहा था की खाना और ज्यादा किस लोकेशन पर बेच सकते हैं. अभिषेक के यहां खाना खाने वालों में मजदूर तपके के लोग भी आते हैं और महंगी गाड़ियों में आने वाले लोग भी. सबसे खास बात है कि वो 110 रुपये में भर पेट खाना खिलाते हैं. 

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