पश्चिम बंगाल और बिहार में रामनवमी और उसके बाद से ही हो रही हिंसा राज्य सरकारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. इन दोनों राज्यों की सरकारों की तऱफ से दावा किया गया है जिन लोगों ने भी हावड़ा, हुगली, सासाराम और बिहार शरीफ में हिंसा की उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की गई है और आगे भी की जाएगी. राज्य सरकारों के इन दावों के बीच विपक्ष भी सीएम ममता और सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने इन राज्यों में हुई हिंसा को लेकर NDTV से खास बातचीत की. उन्होंने इस दौरान कहा कि मेरा ये मानना है कि चाहे वो 1984 का कत्लेआम रहा हो, चाहे वो भिवंडी रहा हो और चाहे वो भागलपुर रहा हो, ये दंगे कभी भी इंसानियत के लिए सही नहीं रहे हैं. ये इंसानियत को लहुलुहान करते हैं. और इन दंगों में कई बेगुनाहों का कत्ल होता आया है.
बीते दिनों पश्चिम बंगाल और बिहार में जो हुआ उसके लिए इन राज्यों में जो सरकार है ये उनकी नौतिक जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारी भी है कि जो लोग इस तरह की आपराधिक घटनाएं कर रहे हैं. और इस तरह के आपराधिक घटनाओं को साम्प्रदायिक रंग देने में लगे हैं. उन लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो. देश अब इस तरह के दंगों और नफरत को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है. बहुत हो चुका है. देश में अबतक पांच हजार से ज्यादा बड़े साम्प्रदायिक दंगे हो चुके हैं. हजारों हजार बेगुनाह लोग मारे जा चुके है, ये कब तक चलेगा.
नकवी ने NDTV से कहा कि इन राज्यों की समस्या ये है कि ये कार्रवाई अगर करते भी हैं तो उसके बार में किसी को पता नहीं चलता है. मेरा मानना है कि राज्य सरकारों का कार्रवाई करना जरूरी होने के साथ-साथ कार्रवाई करते हुए दिखना भी जरूरी है. उत्तर प्रदेश में ऐसा ही हो रहा है. वहां की सरकार ऐसा ही कर रही है. उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी एक राष्ट्रीय पार्टी है, ऐसे में उसकी जिम्मेदारी है कि वो ऐसे राज्यों को अगाह करे जहां इस तरह के हालात हैं. बिहार के सासाराम और बिहार शरीफ में जो हुआ उसे लेकर नीतीश कुमार इस्तीफा दें या ना दें उससे ज्यादा जरूरी है कि जो दंगाई हैं वो सलाखों के पीछे होने चाहिए. चाहे ये लोग कितने भी क्यों ना हों, इन्हें फौरन सलाखों के पीछे होना चाहिए. चाहे ये लोग किसी भी पार्टी या किसी भी समाज के ही क्यों ना हों. सबक के साथ-साथ संदेश देना दोनों ही बहुत जरूरी है.
बीते दिनों गृहमंत्री अमित शाह की बिहार में रैली को लेकर जब नकवी से सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि अमित शाह के 40 की 40 सीटें देने की मांग पर मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि गृहमंत्री ने पहले बिहार के राज्यपाल से बात की. जब अमित शाह ने मौजूदा हालात की जानकारी ली तो वहां जो पार्टी सत्ता में है, उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आखिर अमित शाह ने राज्यपाल से क्यों जानकारी ली. दूसरी चीज क्या अमित शाह जो देश के गृहमंत्री भी हैं, ऐसे दंगाइयों को कड़ा संदेश नहीं दे सकते.
खासकर तब जब राज्य के मुख्यमंत्री संदेश देने में नाकाम रहे हैं. अमित शाह ने जो कुछ कहा वो कहीं से भी चुनावी कैंपेन का हिस्सा नहीं था. इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. मेरा मानना है कि जो दंगाई हैं उसको संदेश जाना चाहिए. और अमित शाह के बयान के बाद उन लोगों को संदेश गया. ये काम तो राज्य के मुख्यमंत्री का था जो देश के गृहमंत्री ने किया. ऐसी घटनाओं को लेकर सॉफ्ट एप्रोच रखना गलत है. ये एक गंभीर मामला है.
पश्चिम बंगाल में टीएमसी द्वारा बीजेपी पर लगाए जा रहे आरोपों को लेकर नकवी ने कहा कि टीएमसी के नेताओं ने जो कहा मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि सिर्फ आरएसएस और बीजेपी करने से नहीं चलेगा. 1969 अहमदाबाद में दंगा होता है, उस दौरान 500 से ज्यादा लोग मारे जाते हैं. 1970 में जलगांव में दंगा होता है वहां 100 से ज्यादा लोग मारे जाते हैं. 1980 में मुरादाबाद में दंगा होता है उसमे भी काफी लोग मारे जाते हैं.
इन तमाम राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकार रही थीं. क्या ये सारे देंगे और इनके बाद भी जो दंगे हुए वो भी बीजेपी ने ही किया था. ऐसा नहीं है. सिर्फ बीजेपी को बदनाम करने से दंगे नहीं रुकेंगे. दंगों को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है.
बिहार और बंगाल में फिलहाल दंगे का एक हिंसक रूप दिख रहा है. बंगाल में जो दिक्कत आई है वो ये है कि वहां पर समाज विरोधी लोग जो गुंडे हैं, ये वो लोग हैं जिन्होंने सरकारी तंत्र को हाईजेक किया हुआ है. इनका पेशा ही अराजकता फैलना हो गया है. इन सब पर सरकार जैसे एक्शन ले रही है उससे ऐसा लगता है कि सरकार इन लोगों को बचा रही है.