बिहार में एनडीए दलों के बीच आपसी बयानबाजी पर राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने रविवार को कहा कि जिस तरह से बीते कुछ दिनों में बीजेपी और जेडीयू के नेता अग्निपथ, कानून-व्यवस्था, जातिगत जनगणना और शिक्षा व्यवस्था जैसे कई मुद्दों पर आपस में उलझते देखे गए हैं, इससे राज्य में माहौल खराब हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि RJD-कांग्रेस से लड़ने के बजाय एनडीए के लोग आपस में भिड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि किसी एक विभाग की सफलता या विफलता के लिए केवल उस विभाग का मंत्री ही जिम्मेदार नहीं होता है बल्कि यह जिम्मेदारी पूरी सरकार की होती है.
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हालांकि, इस दौरान सुशील मोदी ने इस दौरान बिहार सरकार के काम की भी तारीफ की. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार बहुत बेहतर काम कर रही है. हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम ऐसी कोई बयानबाजी ना करें जिससे की विपक्ष में बैठे RJD-कांग्रेस को मजबूत होने का मौका मिले. बता दें कि बिहार सरकार में शामिल बीजेपी और जेडीयू के बीच आपसी छींटाकशी कोई नई बात नहीं है. कुछ दिन पहले ही बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने एक फेसबुक पोस्ट लिखा था. उन्होंने इस पोस्ट में राज्य में केंद्रीय विद्यालय को मिलने वाली जमीन का जिक्र किया था. जायसवाल ने लिखा था कि बिहार के विभिन्न जिलों में केंद्रीय विद्यालय को जमीन मिल जाए इसके लिए नेता जी ने आंदोलन किया. शिक्षा मे सुधार हो, इसके लिए अपने सारे लोगों से हर जिले में धरना एवं प्रदर्शन कराया और अंततः नेताजी स्वयं सफल हो गए. हालांकि जासवाल ने इस पोस्ट में कहीं भी उपेंद्र कुशवाहा का जिक्र नहीं किया था.
बिहार बीजेपी अध्यक्ष के इस फेसबुक पोस्ट के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पलटवार किया था. उन्होंने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था कि रही बात मेरे सफल होने की, तो आपकी तरह मुझको राजनीति में अनुकंपा में कुछ नहीं मिला है. अगर ज्ञान न हो, तो मेरे राजनीतिक सफर के पन्नों को ही पलट कर देखवा लीजिए श्रीमान जी. मेरी जिस सफलता की बात आप कर रहें हैं न, उससे बड़ी-बड़ी कुर्सियों को त्यागकर यहां तक पहुंचे हैं, महोदय.
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इससे पहले बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इस योजना के फायदे गिनाते हुए एक बार फिर जेडीयू पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि जेडीयू के साथी अग्निपथ योजना में सुधार की बात कर रहे हैं लेकिन मुझे राज्य में शिक्षा की मौजूदा स्थिति देखर हंसी आती है. यहां तो 2019 में जिस छात्र ने बीए का फॉर्म भर था वो 2022 में दूसरे वर्ष की ही परीक्षा दे रहा है जबकि अग्निपथ योजना 22 साल के लड़के को आर्मी का ट्रेनिंग, दसवां पास लड़का है तो उसको बारहवां पास करेंगे, अगर बारहवां पास है तो उसे ग्रेजुएशन में तीनों साल का परीक्षा नहीं देनी है. उसको अग्निपथ योजना के तहत जैसे ही चार साल खत्म होगा उसे केवल दो विषय की परीक्षा देनी है, और दो विषय की उसको ट्रेनिंग मिल जाएगी अग्निवीर के नाम पर. मतलब वो कंप्यूटर सीखेगा, ड्रोन चलाना सीखेगा, नेवी में जाएगा तो पानी का जहाज चलाना सीखेगा. 22 साल में इनता कुछ सीखकर जब वो बाहर आएगा तो उनमे से सबसे बेस्ट 25 फीसदी युवाओं को सेना में वापस लिया जाएगा और बाकि बचे युवाओं को अलग-अलग जगह आरक्षण देकेर नौकरी देने का काम किया जाएगा.