कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) मंगलवार को व्हीलचेयर पर संसद भवन पहुंचे. 15 दिसंबर को संसद भवन की सीढ़ियों से उतरते वक्त उनका पैर फिसल गया था और मोच आ गई थी. जिसके बाद आज उन्होंने व्हीलचेयर से संसद भवन पहुंचकर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया. थरूर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से व्हीलचेयर में बैठे हुए फोटो भी शेयर की है. उन्होंने कैप्शन में लिखा, 'इस अस्थायी अक्षमता ने मुझे सिखाया है कि हम कितने खराब तरीके से सुसज्जित हैं.'
केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने निराशा व्यक्त की है कि दिव्यांग लोगों के लिए भारत कितना खराब है. उन्होंने ट्वीट किया, "जब आपको व्हीलचेयर से संसद में प्रवेश करना पड़े, जहां 9 नंबर के दरवाजे पर रैंप के साथ केवल एक प्रवेश द्वार होता है. लोकसभा के लिए चार मिनट की अच्छी यात्रा (सहायकों की सहायता से) हुई. इस अस्थायी अक्षमता ने मुझे सिखाया है कि हम दिव्यांग लोगों की मदद करने के लिए कितने खराब स्थिति में हैं."
पोस्ट किए जाने के बाद से थरूर के ट्वीट को 12,000 से अधिक लाइक मिले हैं. उनकी पोस्ट पर कई यूजर्स ने कमेंट भी किए. कुछ ने इशारा किया कि उनकी अस्थायी चोट में सहायता के लिए कम से कम तीन सहायक थे, जबकि राष्ट्र की अधिकांश दिव्यांग आबादी को अपनी मदद खुद करनी पड़ती है.
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एक यूजर ने लिखा- "ठीक है, कोई भी वास्तव में इन मुद्दों को 100% तब तक नहीं समझता है जब तक कि उनके साथ ऐसा न हो. आपको या किसी को दोष देने के लिए नहीं, लेकिन कम से कम आपके पास सहायता थी. एक दिव्यांग शिक्षक की कल्पना करें, जिसने 25 साल तक काम किया. पहली मंजिल पर क्लास लेने के लिए उन्हें हर दिन सीढ़ियां चढ़ने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती होगी.'
दूसरे यूजर ने लिखा, "सर, संसद में कम से कम हमारे पास एक प्रवेश द्वार है. रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, स्मारक, मंदिर और कई अन्य महत्वपूर्ण स्थान हैं, जहां विशेष जरूरतों वाले लोगों के लिए कोई सुविधा नहीं है."
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इससे पहले सांसद ने ट्विटर पर लिखा था, "संसद में एक सीढ़ी नीचे जाते समय मेरा पैर फिसल गया और मोच आ गई. कुछ घंटों तक कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन फिर दर्द और बढ़ गया और मुझे अस्पताल जाना पड़ा. मैं अब अस्पताल में हूं. आज संसद नहीं आ सकता. साथ ही विधानसभा क्षेत्र में पूर्व में निर्धारित कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया गया है."