"शंकराचार्य एक अलग मत...": राम मंदिर पर श्री श्री रविशंकर ने कह दी बड़ी बात

‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक ने कहा, ‘‘यह एक सपने का साकार होना है. लोग पांच सदियों से इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं. यह (कदम) 500 साल पहले हुई गलती को सुधारने के लिए है . इसलिए पूरे देश में उत्सव और उत्साह का माहौल है.’’

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बेंगलुरू: अयोध्या में होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर ज्योतिष्मठ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा आपत्ति जताये जाने के बीच आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने बुधवार को कहा कि ऐसे कई उदाहरण है जिनमें मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर का निर्माण पूरा हुआ. रविशंकर ने कहा कि शंकराचार्य एक अलग मत का अनुसरण करते हैं, लेकिन कई अन्य प्रावधान भी हैं जो प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी मंदिर निर्माण की अनुमति देते हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘कई ऐसे प्रावधान है जिनके तहत आप प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी मंदिर का निर्माण जारी रख सकते हैं. तमिलनाडु के रामेश्वरम में भगवान राम ने स्वयं एक शिवलिंग की ‘प्राण प्रतिष्ठा' की थी. उस समय वहां कोई मंदिर नहीं था. उनके पास मंदिर बनाने का समय नहीं था. उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा की और बाद में मंदिर का निर्माण कराया गया.''

उन्होंने आगे कहा कि यहां तक कि मदुरै मंदिर और तिरूपति बालाजी मंदिर भी शुरुआत में छोटे थे, जिन्हें बाद में राजाओं ने बनवाया. अयोध्या में मंदिर की आवश्यकता को उचित ठहराते हुए आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि (इससे) उस गलती को सुधारा जा रहा जो पांच सौ वर्ष पहले हुई थी.

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‘आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक ने कहा, ‘‘यह एक सपने का साकार होना है. लोग पांच सदियों से इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं. यह (कदम) 500 साल पहले हुई गलती को सुधारने के लिए है . इसलिए पूरे देश में उत्सव और उत्साह का माहौल है.''

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उन्होंने कहा कि एक आदर्श समाज को हमेशा ‘राम राज' के रूप में वर्णित किया जाता है, जहां हर कोई समान है, सभी के लिए न्याय (सुलभ) है, हर कोई खुश और समृद्ध है.

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