तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने कई मौके की चर्चा करते हुए राज्य सरकार पर उनके अपमान का आरोप लगाया है. उन्होंने सरकार पर महिला होने के कारण भेदभाव करने का भी आरोप लगाया है. अपने आरोपों पर तर्क देते हुए उन्होंने यात्रा के लिए राज्य सरकार की ओर से चॉपर नहीं मिलने की घटना का वर्णन किया. साथ ही ये भी बताया कि उन्हें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्यपाल के अभिभाषण और झंडा फहराने से भी वंचित किया गया.
बतौर राज्यपाल तीन साल का कार्यकाल पूरे करने के बाद एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, " जब भी मैंने लोगों तक पहुंचने की कोशिश की, कोई ना कोई रुकावट आई. राज्य अपने इतिहास में लिखेगा कि कैसे एक महिला राज्यपाल के साथ भेदभाव किया गया.
इधर, राज्यपाल के गंभीर आरोपों पर अभी तक तेलंगाना राष्ट्र समिति और केसीआर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. हालांकि, पूरे मामले को एक राजनीतिक एंगल से भी देखा जा रहा है, क्य़ोंकि सुंदरराजन तमिलनाडु बीजेपी की चीफ रह चुकी हैं. बीजेपी की नेतृत्व वाली केंद्र और टीआरएस सरकार ने पिछले कुछ महीनों में अक्सर एक-दूसरे पर तंज कसा है क्योंकि मुख्यमंत्री केसीआर 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए विपक्ष को एकजुट करने का काम करते हैं.
राज्यपाल सुंदरराजन ने राज्य सरकार के साथ अपने समीकरण पर बात करते हुए उस स्थिति को याद किया जब उन्हें मुलुगु जिले में एक आदिवासी उत्सव के लिए जाना था. उन्होंने कहा, " मुझे सम्मक्का सरक्का (जतारा) जाना था, इसलिए सरकार से एक हेलीकॉप्टर मांगी था क्योंकि सड़क से यात्रा करने में आठ घंटे लगते. लेकिन आखिरी समय तक, हमें सूचित नहीं किया गया कि वे हेलीकॉप्टर देंगे या नहीं. ऐसे में हम अगली सुबह कार से निकल गए." उन्होंने कहा कि वे मुश्किल से समय पर पहुंच पाईं क्योंकि मुख्य उत्सव शाम 4 बजे तक समाप्त होना था.
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि मैं ये सभी बातें किसी व्यक्ति को टारगेट करने के लिए नहीं कह रही. मैं केवल ये कहना चाहती हूं कि सर्वोच्च पद का सम्मान किया जाना चाहिए. वहीं, उन्होंने ये भी कहा कि अब मैं केवल वहीं का सफर करती हूं जहां मैं कार या ट्रेन से पहुंच सकूं.
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