- राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि कृषि कानून विरोध के दौरान अरुण जेटली को उन्हें धमकाने के लिए भेजा गया था.
- अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने कहा कि उनके पिता का निधन कृषि कानूनों से पहले हो चुका था और आरोप गलत है.
- तेजस्वी यादव ने दावा किया कि उनकी वोटर लिस्ट से नाम काट दिया गया है और उनका EPIC नंबर बदल दिया गया है.
पटना से दिल्ली तक... विपक्ष के दो बड़े नेताओं के बयान और उस पर दिन भर घूमती राजनीति. शनिवार को देश की सियासत दो बे 'दम' दावों के ईद-गिर्द घूमती रही. आरोप-प्रत्यारोप का ऐसा दौर चला कि सुर्खियां बनने लगी. मामला कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और राजद नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के दावों से जुड़ा है. राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं तो दूसरी ओर तेजस्वी बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष. राहुल गांधी ने अरुण जेटली (Arun Jaitley) को लेकर एक विस्फोटक दावा किया. राहुल गांधी ने कहा कि कृषि कानून के विरोध के समय में अरूण जेटली को उनके घर धमकाने के लिए भेजा गया था.
दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के पहले चरण के बाद जारी हुए ड्राफ्ट रोल में अपना नाम नहीं होने का दावा किया. तेजस्वी ने बिहार की राजधानी पटना में आयोजित एक प्रेस कॉफ्रेंस में EPIC नंबर के जरिए ड्राफ्ट रोल में अपने नाम की तलाश की. नाम नहीं मिलने पर दावा किया कि मेरा नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से काट दिया है.
शनिवार का दिन विपक्ष के इन दोनों नेताओं के बयान पर केंद्रित रहा. राहुल गांधी के दावे पर अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली की प्रतिक्रिया सामने आई. साथ ही बीजेपी IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय का बयान भी सामने आया. दूसरी ओर तेजस्वी यादव के दावे पर पटना जिला प्रशासन के साथ-साथ राज्य के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का बयान सामने आया.
आइए समझते हैं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के दो दावों ने शनिवार को कैसे देश की राजनीति में नई चर्चा को जन्म दे दिया.
सबसे पहले जानिए राहुल गांधी ने क्या कहा?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि कृषि कानून पर विरोध प्रदर्शन के बीच उन्हें धमकाने के लिए अरुण जेटली को भेजा गया था. राहुल गांधी शनिवार को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वार्षिक विधि सम्मेलन में बोल रहे थे.
राहुल गांधी ने कहा, "मुझे याद है जब मैं कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहा था और वे (अरुण जेटली) अब नहीं हैं, इसलिए शायद मुझे यह नहीं कहना चाहिए, लेकिन मैं कहूंगा, अरुण जेटली को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था. उन्होंने (जेटली) कहा कि अगर आप सरकार का विरोध करते हुए इसी रास्ते पर चलते रहे, तो हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी.'
मैंने उनकी तरफ देखा और कहा, 'मुझे नहीं लगता कि आपको पता है कि आप किससे बात कर रहे हैं, क्योंकि हम कांग्रेस के लोग हैं, हम कायर नहीं हैं."
राहुल गांधी के दावे पर रोहन जेटली ने क्या कहा?
राहुल गांधी के दावे पर अरूण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने कहा, इस मामले में दो बातें महत्वपूर्ण हैं. पहली, राहुल गांधी जिस विषय पर बात कर रहे हैं, वह मेरे पिता के निधन के बाद का है. दूसरी, धमकाने की बात मेरे पिता के स्वभाव में नहीं थी. वह विपक्ष का भी सम्मान करते थे. उनका निधन अगस्त 2019 में हुआ था, और उनके बारे में ऐसा आरोप लगाना पूरी तरह गलत है.
उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले मनोहर पर्रिकर के बारे में भी राहुल गांधी ने इसी तरह की टिप्पणी की थी. वे एक संवैधानिक पद पर हैं. उन्हें चाहिए कि वे सोच-समझकर बोलें. वे बार-बार झूठ बोलते हैं. इस बयान के लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए.
रोहन जेटली ने एक एक्स पोस्ट में कहा, "राहुल गांधी का दावा है कि मेरे दिवंगत पिता अरुण जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों को लेकर धमकाया था. मैं उन्हें याद दिला दूं कि मेरे पिता का देहांत 2019 में हुआ था. कृषि कानून 2020 में पेश किए गए थे."
राहुल के बयान पर अमित मालवीय ने क्या कहा?
भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी राहुल गांधी के दावे पर टिप्पणी की. उन्होंने एक्स पर लिखा, "राहुल गांधी का दावा है कि अरुण जेटली ने 2020 के कृषि कानूनों के प्रति उनके विरोध को कमजोर करने के लिए उनसे संपर्क किया था. सच तो यह है कि अरुण जेटली का 24 अगस्त, 2019 को निधन हो गया था. कृषि विधेयकों का मसौदा 3 जून, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष लाया गया था. ये कानून सितंबर 2020 में लागू किए गए थे."
उन्होंने कहा, "कोई भी चर्चा, चाहे समर्थन में हो या विरोध में, इन घटनाक्रमों के बाद शुरू हुई. यह कहना कि अरुण जेटली जी ने उनसे किसी भी चीज के लिए संपर्क किया था, तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है. आइए तथ्यों पर टिके रहें और कथानक के अनुरूप समय-सीमा को न बदलें."
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अब बात तेजस्वी की, जिन्होंने SIR को लेकर पर कई आरोप लगाए
बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन के बाद जारी हुई ड्राफ्ट रोल के बारे में तेजस्वी यादव ने शनिवार को कई आरोप लगाए. उन्होंने पहले आरोप लगाया कि SIR के बाद जारी ड्राफ्ट रोल में मेरा नाम नहीं है. मैं खुद मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हूं. इससे मैं चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो जाता हूं. शायद, मुझे नागरिक नहीं माना जाएगा और मैं इस घर में रहने के अधिकार से भी वंचित हो जाऊंगा.
तेजस्वी के इस दावे पर पटना प्रशासन का जवाब सामने आया. तेजस्वी यादव के दावे का खंडन करते हुए पटना जिला प्रशासन ने मसौदा मतदाता सूची का एक स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें तेजस्वी यादव का विवरण और तस्वीर देखी जा सकती है.
प्रशासन ने यह भी कहा कि जांच करने पर यह पाया गया कि यादव का नाम सूची में था और उनका मतदान केंद्र पहले की तरह पशु चिकित्सा महाविद्यालय के पुस्तकालय में था, लेकिन उनके अपने और मतदान केंद्र के क्रमांक में परिवर्तन किया गया था.
सम्राट चौधरी ने तेजस्वी के दावे का खंडन करते हुए ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आपका नाम आपके पिता, आदरणीय लालू प्रसाद (राजद प्रमुख) के नाम के बिल्कुल साथ है. बेहतर होगा कि आप झूठे दावों की अपनी दुकान बंद कर दें.''
इसके बाद तेजस्वी ने दूसरा आरोप यह लगाया कि उनका EPIC नंबर बदल दिया गया है. तेजस्वी ने कहा कि मेरा EPIC नंबर (मतदाता पहचान पत्र संख्या) बदल दिया गया है. यह चुनाव आयोग की साजिश है. अगर उनके साथ यह हो सकता है तो फिर राज्य के किसी भी निवासी के साथ हो सकता है. लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काटे जा सकते हैं.
तेजस्वी यादव ने कहा कि हम चुनाव आयोग से पूछना चाहते हैं कि मेरी तरह कितने लोगों का ईपीआईसी नंबर बदला गया है, आंकड़ा दें.
तेजस्वी के दोनों दावों पर पटना के डीएम त्यागराजन का एक बयान भी सामने आया. जिसमें वो यह कह रहे हैं कि ड्राफ्ट रोल में नेता प्रतिपक्ष का नाम बिल्कुल है. जिस बूथ पर वो वोट करते थे, उसी बूथ पर उनका नाम है. उनका जो EPIC नंबर हमारे पास उपलब्ध है, वह 2020 के चुनाव में उनके द्वारा समर्पित किया था. वह ड्राफ्ट रोल में है.
पटना डीएम ने आगे कहा कि वे जो वोटर आईडी दिखा रहे हैं, उस पर जो ईपिक नंबर है, उसकी जांच की जाएगी. हो सकता है कि वह डुप्लीकेट हो लेकिन फिलहाल मैं पुख्ता तौर पर यह नहीं कह सकता. तेजस्वी यादव अगर हमें वह ईपिक नंबर देंगे तो हम उसकी भी जांच करेंगे.
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