इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने देश की विकास परियोजनाओं को रोकने की कोशिश का सनसनीखेज आरोप पांच चुनिंदा गैर-सरकारी संगठनों, यानी NGO पर लगाया है. इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी दुबे ने विपक्ष को घेरा है. अश्विनी दुबे ने कहा कि कुछ लोगों को देश को तरक्की के रास्ते पर दौड़ते देख तकलीफ होती है. इसलिए वो ऐसे NGOs का सहारा लेते हैं.
अश्विनी दुबे ने NDTV से कहा, "इसमें कोई शक नहीं है कि ये NGO सिलेक्टिव टारगेट करते हैं. इस मामले में जांच कमेटी भी बैठी. कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के साथ-साथ अपने-अपने फील्ड के एक्सपर्ट शामिल थे. उन्होंने अपनी रिपोर्ट दी. रिपोर्ट में सामने आया कि जो आरोप लगे थे, उनका कोई आधार नहीं था. सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि एक पन्ने के आरोप में देश में मौजूद एजेंडाधारी बड़ा सा एजेंडा चला देंगे. इसके बाद इन आरोपों का जो असर देखा जाएगा, उसका कोई तोड़ नहीं होगा."
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अश्विनी दुबे ने कहा, "ये NGO खबरों को तोड़ने-मरोड़ने में माहिर हैं. उसे सनसनी बनाने में माहिर हैं. ये एक तरह से देश की आर्थिक गति को रोकने की कोशिश ही तो है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट किसी व्यक्ति या संस्था ने नहीं तैयार की है. इसे देश की एक एजेंसी ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सघन जांच के बाद इस रिपोर्ट को तैयार किया है. इस जांच में सामने आया कि इन NGO ने वित्तीय गड़बड़ियां की. साथ ही देश में विकास विरोधी एजेंडा भी चलाया. चैरिटी के नाम पर, FCRA के नाम पर ये एजेंडा चलाया गया."
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4 NGO की 75% फंडिंग विदेशी स्रोतों से
रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 5 NGOs पर विकास विरोधी एजेंडा चलाने का आरोप है. 5 में से 4 NGO की 75% फंडिंग विदेशी स्रोतों से हुई. इस फंड का इस्तेमाल कॉरपोरेट घरानों के प्रोजेक्ट्स के खिलाफ किया गया है. पांचों NGO वित्तीय रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. ये NGO अपने-अपने मिशन भी एक दूसरे से साझा करते हैं. भारत में जो तमाम प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, ये NGO उन्हें रोकने की साझा कोशिश करते हैं. डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को रोकने के लिए विरोध-प्रदर्शनों और आंदोलनों को हवा दी जाती है.
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