कुलपति नियुक्ति कानून पर अंतरिम रोक के खिलाफ तमिलनाडु सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार द्वारा किए गए कुछ संशोधन असंवैधानिक हैं और उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

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कुलपति नियुक्ति कानून पर अंतरिम रोक के खिलाफ तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है और मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती  दी है. ⁠हाईकोर्ट ने VC नियुक्ति संशोधन पर अंतरिम रोक लगा दी थी. ⁠इसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. दरअसल मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार, 21 मई को तमिलनाडु सरकार के उस संशोधन पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया, जिसमें राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने के राज्यपाल के अधिकार को समाप्त कर दिया गया था. ⁠अपने आदेश में अदालत ने कहा कि वह अंतरिम राहत देने के लिए बाध्य है, क्योंकि संशोधन असंवैधानिक थे. 

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन और जस्टिस वी लक्ष्मीनारायणन की पीठ ने वकील के वेंकटचलपति द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया, जिसमें यूजीसी अधिनियम के साथ विवाद करने वाले सभी संशोधित अधिनियमों को अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी. अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु सरकार द्वारा किए गए कुछ संशोधन असंवैधानिक हैं और उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती. संशोधन अधिनियमों में असंवैधानिकता और प्रतिकूलता इतनी स्पष्ट  है कि हम अपनी आँखें बंद नहीं कर सकते. ⁠हम आश्वस्त हैं कि ये संशोधन स्पष्ट रूप से असंवैधानिक हैं. 

मद्रास हाईकोर्ट ने आगे कहा कि यदि असंवैधानिक प्रक्रिया को जारी रहने दिया गया तो इससे अपूरणीय क्षति होगी और जनहित को नुकसान पहुंचेगा. हम संशोधन अधिनियमों के क्रियान्वयन पर पूरी तरह रोक लगाने का प्रस्ताव नहीं रखते हैं. ⁠हम कानून के उस हिस्से पर रोक लगाने तक ही सीमित हैं जो राज्यपाल से नियुक्ति करने की शक्ति छीन लेता है. ⁠वास्तव में, हम खोज समितियों के गठन पर भी रोक लगाने का प्रस्ताव नहीं रखते हैं.

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