तमिलनाडु सरकार ने ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए स्टरलाइट कॉपर प्लांट को 4 महीने तक खोलने की दी अनुमति

सरकार द्वारा नियुक्त पैनल प्लांट के कामकाज की निगरानी करेगा. साथ ही यह भी कहा कि तांबा के उत्पादन की अनुमति नहीं होगी.

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वेदांता का स्टरलाइट प्लांट तीन साल बाद आंशिक रूप से फिर से खोलने के लिए तैयार.
नई दिल्ली:

मेडिकल ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए तमिलनाडु (Tamil Nadu) सरकार ने तूतीकोरिन स्थित वेदांता के स्वामित्व वाले स्टरलाइट कॉपर प्लांट ( Sterlite copper smelting plant) को फिर से खोलने की अनुमति दे दी है. राज्य सरकार ने सोमवार को कहा कि वेदांत का स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टिंग प्लांट, जिसे साल 2018 में पर्यावरण प्रदूषण पर स्थानीय लोगों के विरोध के बावजूद बंद कर दिया गया था, उसे आंशिक रूप से चार महीने तक के लिए फिर से खोलने की अनुमति दी गई है. तमिलनाडु सरकार की ओर से यह फैसला तब लिया गया, जब राज्य में कोरोना के मामलों में वृद्धि देखी गई. 

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अधिकारियों ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त पैनल प्लांट के कामकाज की निगरानी करेगा. साथ ही यह भी कहा कि तांबा के उत्पादन की अनुमति नहीं होगी. इस निर्णय की घोषणा आज सर्वदलीय बैठक के बाद की गई जहां एमके स्टालिन की डीएमके ने सुझाव दिया कि स्टरलाइट को तमिलनाडु में "मुफ्त में ऑक्सीजन प्रदान करना चाहिए." DMK ने संयंत्र के कामकाज की निगरानी पर भी जोर दिया. 

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थूथुकुडी सांसद व डीएमके नेता कनिमोझी ने कहा कि संयंत्र को फिर से खोलने और ऑक्सीजन के उत्पादन की निगरानी करने वाले पैनल में स्थानीय लोगों को शामिल करना चाहिए, जिन्होंने कॉपर प्लांट का विरोध किया था, इसलिए ताकि वे इस घटनाक्रम की निगरानी कर सकें. बता दें कि साल 2018 में, 17 स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शकारियों की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी, सीबीआई अभी भी मौतों की जांच कर रही है. 

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इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा था कि आक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं तो ऐसे में तमिलनाडु सरकार 2018 से बंद पड़ी वेदांता की स्टरलाइट तांबा संयंत्र इकाई अपने हाथ में लेकर कोविड-19 मरीजों की जान बचाने के लिये आक्सीजन का उत्पादन क्यों नहीं करती.? प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दो टूक शब्दों में कहा था, ‘‘हमारी दिलचस्पी वेदांता या ए, बी, सी के चलाने में नहीं है. हमारी दिलचस्पी आक्सीजन के उत्पादन में है. किसी न किसी को कुछ न कुछ ठोस तो कहना चाहिए क्योंकि इस समय आक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं.''

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