अमेरिकी टैरिफ से तिरुप्‍पुर की इंडस्‍ट्री ठप! CM स्‍टालिन ने पीएम मोदी को घेरा, बीजेपी का पलटवार 

इंडस्‍ट्री एनालिस्‍ट ने चेताया कि अगर प्रधानमंत्री ने सीधे वॉशिंगटन से बातचीत नहीं की तो तिरुप्पुर जैसे भारत के निर्यात केंद्रों को होने वाला नुकसान बहुत देर होने से पहले ही अपूरणीय हो जाएगा.

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  • तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने पीएम मोदी से गुजरात की रिफाइनरियों को सस्ता रूसी तेल देने पर सवाल उठाए हैं.
  • तिरुप्पुर की टेक्सटाइल इंडस्ट्री अमेरिकी टैरिफ से लगभग तीन हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेल चुकी है.
  • अमेरिकी सरकार ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर दबाव बनाने के लिए भारतीय सामान पर 50 फीसदी टैरिफ लगाया है.
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, जो इन दिनों यूरोप के आधिकारिक दौरे पर हैं, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला. उन्होंने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार आखिर किस तर्क से सस्ती रूसी कच्चे तेल की सप्लाई गुजरात की रिफाइनरियों के लिए करती है, जबकि तमिलनाडु के तिरुप्पुर (जिसे देश की होजियरी कैपिटल कहा जाता है) के निर्यातक अमेरिकी टैरिफ की मार झेल रहे हैं.

यह बयान तब आया जब कुछ ही घंटे पहले तिरुप्पुर में हजारों मजदूरों और निर्यातकों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया. दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने भारतीय सामान पर 50% टैरिफ लगा दिया है. यह कदम उन देशों पर दबाव बनाने के लिए उठाया गया है जो अभी भी रूस से तेल खरीद रहे हैं. तिरुप्पुर की टेक्सटाइल इंडस्ट्री, जहां लाखों लोग काम करते हैं, इस फैसले से अब तक करीब 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान झेल चुकी है.

'तुरंत राहल की घोषणा करें पीएम'

स्टालिन ने तमिल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि यह आंदोलन 'बहुत बड़ी सफलता' है. उन्होंने मोदी से सीधा सवाल किया- 'गुजरात की रिफाइनरियों को सस्ते तेल का फायदा दिलाने के लिए क्या आप हमारे उन निर्यातकों को बर्बाद होने देंगे जो लाखों नौकरियां पैदा करते हैं? तुरंत राहत की घोषणा करें, अमेरिका से बातचीत करें और अपने 'विश्वगुरु' का खिताब सच साबित करें.'

उन्होंने यह भी याद दिलाया कि उन्होंने पहले ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राहत पैकेज की मांग की थी, जिसमें कोविड-19 महामारी के समय दी गई तरह की छूट और स्थगन शामिल थे.

बीजेपी ने किया पलटवार 

इस पर बीजेपी ने भी पलटवार किया. पार्टी प्रवक्ता नारायणन तिरुपति ने स्टालिन की टिप्पणियों को 'अपरिपक्व और दुर्भाग्यपूर्ण' बताते हुए कहा- 'यह आश्चर्य की बात है कि एक मुख्यमंत्री न तो अर्थव्यवस्था समझते हैं और न ही राजनीति.'

विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक बयानबाज़ी से आगे बढ़ते हुए असली चुनौती समय की है. एक इंडस्‍ट्री एनालिस्‍ट ने चेताया कि अगर प्रधानमंत्री ने सीधे वॉशिंगटन से बातचीत नहीं की तो तिरुप्पुर जैसे भारत के निर्यात केंद्रों को होने वाला नुकसान बहुत देर होने से पहले ही अपूरणीय हो जाएगा.

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