तालिबान का सह संस्थापक औऱ शीर्ष कमांडर मुल्ला अब्दुल गनी बरादर (Taliban Commander Mullah Baradar) अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Afghanistan Kabul) लौट आया है. बरादर अभी तक कतर की राजधानी दोहा में था, जहां वो तालिबान और अमेरिकी अगुवाई वाले पश्चिमी देशों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता में शामिल था.काबुल में मंगलवार को विमान उतरने के बाद तालिबान के अन्य नेताओं ने उसका जबरदस्त स्वागत किया. काबुल में मौजूद नेताओं ने बरादर के समर्थन में नारे लगाए. माना जा रहा है कि मुल्ला बरादर को अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति (Afghanistan Next President) बनाया जा सकता है. अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर समझौते को अंतिम रूप देने में मुल्ला बरादर की बड़ी भूमिका रही है.
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काबुल में मंगलवार को विमान उतरने के बाद तालिबान के अन्य नेताओं ने उसका जबरदस्त स्वागत किया. काबुल में मौजूद नेताओं ने बरादर के समर्थन में नारे लगाए. माना जा रहा है कि मुल्ला बरादर को अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति बनाया जा सकता है. अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर समझौते को अंतिम रूप देने में मुल्ला बरादर की बड़ी भिमिका रही है. मुल्ला बरादर ने 1990 के दशक में मुल्ला उमर के साथ तालिबान की स्थापना की थी.
9/11 के बाद जब अमेरिका ने तालिबान के खिलाफ हमला बोला तो तालिबान के अन्य बड़े नेताओं के साथ मुल्ला बरादर भी भूमिगत हो गया और 2010 में पाकिस्तान में पकड़ा गया. कहा जाता है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों ने उसे कराची से पकड़ा था. लेकिन जब अमेरिकी सेना की वापसी को लेकर तालिबान से वार्ता शुरू हुई तो बरादर को रिहा कर दिया गया. वो भी तालिबान और विदेशी ताकतों के बीच कतर की राजधानी दोहा में हुई बातचीत में भागीदारी करता रहा.
मुल्ला बरादर दक्षिण अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांत में प्रभावशाली पख्तून समुदाय में हुआ था. बरादर 1990 के दशक में इस्लामिक शरिया के मुताबिक तालिबान की नींव रखने वालों में से एक था. 1980 के दशक में सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर हमले के खिलाफ उसने मुजाहिदीनों के साथ मिलाकर संघर्ष किया था. बरादर ने कंधार से सोवियत फौजों के खिलाफ जेहाद का ऐलान किया. मुल्ला बरादर अफगानिस्तान के देहराऊद जिले का रहने वाला और पख्तून है.
अमेरिका में 9/11 हमले के बाद जब 2001 में तालिबान जब सत्ता से बेदखल हुआ तो मुल्ला बरादर अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ अभियान में जुट गया. वर्ष 2001 के पहले जब अफगानिस्तान में तालिबान शासनथा तो उस सरकार में मुल्ला बरादर उप रक्षा मंत्री की हैसियत से काम कर रहा था.
अमेरिकी हमले के बाद मुल्ला बरादर भूमिगत हो गया और दस साल बाद पाकिस्तान के कराची शहर में पकड़ा गया. बरादर तालिबान के सबसे बड़े नेता मुल्ला उमर का सबसे भरोसेमंद थाकतर में तालिबान और अफगान सरकार के बीच शांति वार्ता शुरू हुई तो मुल्ला बरादर को रिहा कर दिया गया. तभी से वो अफगानिस्तान में तालिबान की दोबारा हुकूमत कायम करने के मिशन को अंजाम देने में जुटा था.