तहव्वुर का कच्चा चिट्ठा: कैसे चुपचाप बिछाया मुंबई हमले का जाल, पढ़िए पूरी कहानी

आखिरकार आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा भारत आ रहा है. 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए गिरफ्तारी के लगभग 16 साल बाद उसे अमेरिका से भारत लाया जा रहा है.

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मुंबई हमले का आरोपी आतंकी तहव्वुर राणा

आखिर वो दिन आ ही गया है. आखिरकार आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Rana) भारत आ रहा है. 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में उसकी भूमिका के लिए गिरफ्तारी के लगभग 16 साल बाद उसे अमेरिका से भारत लाया जा रहा है. सूत्रों ने बताया है कि 64 साल का राणा 10 अप्रैल की दोपहर दिल्ली पहुंचेगा और उन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी तुरंत गिरफ्तार कर लेगी. बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग की संयुक्त टीम उसे वापस ला रही है. जब इस आतंकी को भारत का कानून इंसाफ के तराजू पर तौलने के लिए पूरी तरह से तैयार है, देश का 17 साल पूराना जख्म फिर से हरा हो जाता है जब 2008 में मुंबई आतंकी हमलों से दहल उठी थी. इस हमले में 160 मासूम लोगों ने अपना जान गंवा दी थी. चलिए आपको तहव्वुर राणा का पूरा कच्चा चिट्ठा सुनाकर बताते हैं कि ने कैसे इसने मुंबई हमले का जाल बिछाया था?

तहव्वुर राणा का राज हमारे सामने लेकर आया था खुद 2008 के हमले का मुख्य आरोपी और पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली. इसे अक्टूबर 2009 में गिरफ्तार किया गया था और अभी यह अमेरिका के जेल में बंद है. अब सरकारी गवाह बन चुके डेविड हेडली ने बताया था कि राणा ने उसे आतंकी ऑपरेशन और उसके अंजाम देने के लिए साजो-सामान और पैसे की मदद की थी. 

हेडली ने हमलों से पहले खुद को राणा की इमिग्रेशन कंसल्टेंसी का कर्मचारी बताकर मुंबई की रेकी की थी. तहव्वुर पर आरोप है कि उसने हमले के मास्टरमाइंट हेडली को हर वो सहायता दी जो इस हमले के लिए जरूरी थी. यहां तक कि जब हेडली को रेकी करने के लिए भारत आना था तब भी तहव्वुर ने उसके लिए वीजा जैसे ट्रैवल डॉक्यूमेंट भी बनवाए थे. 

सितंबर 2023 में मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच ने तहव्वुर राणा के खिलाफ 405 पेज का सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर किया था. इसी चार्जशीट में बताया गया है कि कैसे पूर्व सैन्य डॉक्टर रह चुके तहव्वुर ने मुंबई को दहलाया था. इस चार्जशीट में 14-15 गवाहों के नाम हैं.

भारत सरकार के अनुसार तहव्वुर राणा पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी, इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (ISI), आरोपी से सरकारी गवाह बने डेविड कोलमैन हेडली और लश्कर-ए-तैयबा के बीच की कड़ी था.

हमले से पहले भारत आया था राणा

राणा 11 नवंबर 2008 को दिल्ली पहुंचा और लगभग 11 दिनों तक भारत में रहा. इसके बीच वह दो दिनों के लिए, 20 और 21 नवंबर को वह पवई के एक होटल में रुका. इसके दो दिनों के बाद राणा हमले से एक सप्ताह पहले दुबई निकल गया.

फिर आती है 26 नवंबर, 2008 की रात. इस रात 10 पाकिस्तानी आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे. उन्होंने सीएसएमटी, होटल ताज महल पैलेस, ट्राइडेंट होटल, चबाड हाउस सहित अन्य स्थलों पर हमला किया. इसमें एक दर्जन से अधिक विदेशियों सहित 166 लोग मारे गए. जवाब में 60 घंटे के ऑपरेशन में एनएसजी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने नौ आतंकियों को मार गिराया, जबकि एक को पकड़ लिया गया. जो पकड़ा गया उसका नाम था कसाब.

उधर अक्टूबर 2009 में हेडली अमेरिका में गिरफ्तार हो गया. आगे डेविड हेडली भारत के लिए सरकारी गवाह बन गया. राणा और अन्य आतंकियों के खिलाफ उसकी गवाही ने केस में और खुलासे किए.

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हेडली के साथ लगातार संपर्क में था राणा

26/11 हमले से पहले डेविड हेडली ने 5 बार भारत की यात्रा की थी. रेकी के लिए की गई इन यात्राओं के दौरान तहव्वुर ने हेडली से 231 बार संपर्क किया था. खुद राणा ने आठ टोही मिशन चलाए और हमले से पहले की गई अंतिम यात्रा के दौरान सबसे अधिक कॉल (66) की गईं.

भारतीय अभियोजकों के डोजियर के अनुसार राणा और हेडली ने दूसरे आतंकी ऑपरेटर्स के साथ आतंकी हमलों को अंजाम देने की अपनी योजना को जमीन पर उतारा. उन्होंने हमले के लिए भारत में अन्य ठिकानों की मैपिंग की थी, जिसमें दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज और इंडिया गेट और कई यहूदी केंद्र शामिल थे. NIA की चार्जशीट में बताया गया है कि राणा ने हेड ली, हफीज सईद, जकीउर रहमान लखवी, इली कश्मीरी, साजिद मीर और मेजर इकबाल के साथ मिलकर हमले की साजिश रची थी.
 

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