Swati Maliwal case : आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट और बदसलूकी के मामले में दिल्ली पुलिस ने अरविंद केजरीवाल के पीए विभव कुमार के खिलाफ 300 पेज की चार्जशीट पेश कर दी है,चार्जशीट में विभव कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाएं गए हैं. अब चार्जशीट पर संज्ञान लेने पर सुनवाई 30 जुलाई को होगी.
किन धाराओं में केस
करीब 2 महीने की जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के मामले में तीस हजारी कोर्ट में करीब 300 पेज की चार्जशीट दायर कर दी. चार्जशीट में आरोपी के तौर पर विभव कुमार का नाम है. विभव के खिलाफ आईपीसी की धारा 308, 341, 345B ,506 और 509 के तहत दायर की गई. अब कोर्ट 30 जुलाई को चार्जशीट पर संज्ञान ले सकता है.
यह है चार्जशीट में
सूत्रों के मुताबिक, चार्जशीट में कहा गया है कि सीएम हाउस से सिलेक्टिव वीडियो सौपा गया, बाकी वीडियो मिसिंग है. आरोपी ने सबूत मिटाने की कोशिश की. अपने मोबइल को फॉर्मेट कर दिया. आरोपी प्रभावशाली है और सबूत के साथ छेड़खानी कर सकता है. इसके साथ ही गवाहों को भी प्रभावित कर सकता है.
50 लोग गवाह बने
जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने 100 लोगों से पूछताछ की थी थी. 50 लोगों को गवाह बनाया गया है. दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में सबूत के तौर पर विभव कुमार के मोबाइल, सिम कार्ड, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास का DVR और NVR पेश किया है. पुलिस ने सीएम आवास के सुरक्षाकर्मियों के बयान भी दर्ज किए हैं. स्वाति मालीवाल का सीआरपीसी के तहत 164 का बयान और उनकी मेडिकल रिपोर्ट भी चार्जशीट में है. इस केस में स्वाति के कपड़े (जो उन्होंने घटना के वक्त पहने थे) सीज करके FSL को भेजे गए थे. इसकी रिपोर्ट आना अभी बाकी है.
कब हुआ था ये मामला
स्वाति मालीवाल 13 मई को सुबह 9 बजे के करीब अरविंद केजरीवाल से मिलने उनके आवास पर गईं थी. स्वाति का आरोप है कि विभव ने उन्हें 7-8 थप्पड़ पूरी जोर से मारे, जिससे उनका सिर सेंटर टेबल से टकराया. नीचे गिरने पर उसने उन्हें लातों से मारा, जिससे शर्ट के बटन खुल गए थे. स्वाति मालीवाल के बयान के बाद16 मई को केस दर्ज हुआ था.18 मई को विभव को केजरीवाल के घर से गिरफ्तार कर लिया गया था.
विभव की मुश्किलें बढ़ीं
बीते शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने विभव कुमार को ये कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि उनका ''काफी प्रभाव'' है. कोर्ट ने कहा था कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने की स्थिति में गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है या सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. ऐसे में चार्जशीट पेश होने के बाद भी विभव को फिलहाल इस मामले में कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है.