हिंसा से उजाले तक: आत्मसमर्पित नक्सलियों ने वर्षों बाद मनाई मुख्यधारा की दिवाली पूरे देश में दीपावली का पर्व

कांकेर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आत्मसमर्पित नक्सलियों के चेहरे पर सालों बाद त्योहार मनाने की खुशी स्पष्ट झलक रही थी. गलत रास्ते पर चलने का अफसोस.. किसकोडो एरिया कमेटी के पूर्व सचिव सोनू हेमला ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने गलत रास्ते पर चलकर अपने जीवन के कई साल बर्बाद कर दिए.

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पूरे देश में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस कड़ी में एक मार्मिक दृश्य उन आत्मसमर्पित नक्सलियों के जीवन में देखने को मिला, जिन्होंने वर्षों बाद मुख्यधारा में लौटकर NDTV के साथ मिलकर रोशनी का यह त्योहार मनाया. पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में इन पूर्व नक्सलियों ने मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की और जमकर आतिशबाजी करते हुए जीवन में आए 'उजाले' का जश्न मनाया.

कांकेर में खुशी के आंसू: 'जंगल में जीवन नहीं था, सिर्फ दहशत थी'
कांकेर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आत्मसमर्पित नक्सलियों के चेहरे पर सालों बाद त्योहार मनाने की खुशी स्पष्ट झलक रही थी. गलत रास्ते पर चलने का अफसोस.. किसकोडो एरिया कमेटी के पूर्व सचिव सोनू हेमला ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने गलत रास्ते पर चलकर अपने जीवन के कई साल बर्बाद कर दिए. उन्होंने बताया कि जंगल में वे किसी भी त्योहार का जश्न नहीं मना पाते थे और अपने परिवार से भी सिर्फ दो-तीन बार ही मिल पाए थे.

नया जीवन, नई उम्मीद
हेमला ने कहा कि अब मुख्यधारा में वापस आने के बाद वे समाज के साथ जुड़कर हर त्यौहार मनाना चाहते हैं और जल्द ही अपने परिवार के साथ दीपावली मनाने की उम्मीद है. एक और आत्मसमर्पित नक्सली ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "जंगल में जीवन नहीं था. सिर्फ हाथ में हथियार और दहशत थी, लेकिन अब यहां आकर अच्छा लग रहा है." उनकी पत्नी ने भी कहा कि उन्हें इतनी खुशी सालों बाद मिली है. कांकेर पुलिस ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं की थीं ताकि वे देश के इस पर्व को धूमधाम से मना सकें.

गरियाबंद में 8 लाख की इनामी जानसी ने पहली 'आजाद' दिवाली मनाई
गरियाबंद जिले में भी मुख्यधारा में लौटी पूर्व महिला नक्सलियों ने अपनी 'आजादी की रोशनी' में दीपावली मनाई. इनमें 8 लाख की इनामी पूर्व नक्सली जानसी, जुनकी, वैजयंती, मंजुला और मैना शामिल हैं.

बाजार में पहली आजाद खरीदारी
कभी जिनके नाम से पूरा इलाका दहशत में रहता था, वही जानसी और जुनकी इस बार आम महिलाओं की तरह गरियाबंद के बाजार में अपनी पहली आजाद दीपावली के लिए कपड़े चुनती और खरीदारी करती दिखाई दीं. यह दीपावली पर्व आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए हिंसा के अंधकार को त्याग कर, मुख्यधारा के शांतिपूर्ण जीवन को अपनाने और खुशियां मनाने का एक भावनात्मक क्षण बन गया.

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