देसी नस्ल की गायों के संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें देसी नस्ल की गायों को संरक्षण देना होगा. साथ ही केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने इस मामले में जवाब दाखिल नहीं किया है. लिहाजा उसका जवाब जरूरी है. 6 हफ्ते के भीतर केंद्र हलफनामा दाखिल करे. दरअसल, जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया था जिसमें देसी नस्ल की गाय आदि के वध पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. मथला चंद्रपति राव द्वारा दायर जनहित याचिका पर पीठ ने सभी राज्यों को गैरकानूनी तरीके से चल रहे बूचड़खानों को बंद करने और उच्चतम न्यायालय के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट दायर करने के लिए भी निर्देश देने की मांग की थी.
मवेशियों के राष्ट्रीय आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति गुमान लाल लोढा द्वारा भारत सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस रिपोर्ट में दुधारू गायों और बछड़ों के वध पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है. भारत में देसी नस्लों/प्रजातियों के मवेशियों की गिरावट को रोकने के लिए तुरंत निवारक कदम उठाएं और प्रभावी रूप से राष्ट्रीय गोकुल मिशन को लागू करें. भारत में मवेशियों की विदेशी नस्लों के साथ क्रॉस ब्रीडिंग और ब्रीडिंग को बढ़ावा ना देने के लिए उत्तरदाताओं को निर्देशित करना ताकि वो मवेशियों की देसी प्रजातियों के लिए न्यूनतम हस्तक्षेप और बीमारी के जोखिम को नियंत्रित करें. स्वदेशी नस्ल के दुधारू पशुओं का वध नहीं हो ये सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देश जारी हों. स्वदेशी मवेशियों के दूध के उत्पादन में सुधार के लिए अनुसंधान करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए निर्देंश जारी हों.