कोरोना संक्रमित लोगों (Corona Infected Person) के घर के बाहर पोस्टर लगाने पर रोक लगाने की मांग
वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बताया कि सेंट्रल गवर्नमेंट (Central Government) ने ऐसा कोई नियम नहीं बनाया है जबकि राज्य सरकार ऐसा कर सकती हैं.सालिसिटर जनरल (SG) ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में हलफनामा दाखिल कर दिया है. इस पर SC ने कहा कि असलियत तो ये है कि इस तरह के पोस्टर लगाने से साफ अस्पृश्यता दिखाई देती है. आज सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा- जमीनी स्तर पर हकीकत यह है कि एक बार कोविड रोगी के घर के बाहर नोटिस लगाने के बाद, उसे दूसरों द्वारा अछूत माना जाता है.
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सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करेगा.गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया था कि मामले में जवाबी हलफनामा जल्द दाखिल करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाख़िल करने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया था. जस्टिस शाह ने कहा था कि हर चीज के लिए हम आदेश नहीं दे सकते.
इससे पहले, दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि उसने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे किसी भी घर के बाहर COVID-19 आइसोलेशन के पोस्टर ना लगाएं. सरकार ने कहा था कि सभी ऐसे मरीजों के निवास के बाहर जो पोस्टर पहले से लगाए गए हैं, उन्हें तत्काल हटाने के लिए कहा गया है. दिल्ली सरकार ने ये भी कहा कि अधिकारियों को कोई निर्देश नहीं है कि वेRWA या किसी अन्य व्यक्ति के साथ COVID-19 पॉजिटिव मरीजों के नाम साझा करें. इसके बाद हाईकोर्ट ने COVID-19 पॉजिटिव व्यक्तियों के घरों के बाहर पोस्टर चिपकाने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए जनहित याचिका का निपटारा कर दिया था. इससे पहले हाईकोर्ट ने कुश कालरा द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार को अपने अधिकारियों, कर्मचारियों, एजेंटों, प्रतिनिधियों को निर्देश जारी किए जाएं ताकि कोविड-19 व्यक्तियों के नामों को किसी भी व्यक्ति विशेषकर आरडब्ल्यूए, व्हाट्सएप समूहों, आदि से प्रसारित ना किया जा सके. जनहित याचिका में कहा गया है कि व्यक्तियों के घरों के बाहर पोस्टर चिपकाना, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित निजता के मौलिक अधिकार का एक गंभीर उल्लंघन है.
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