टाटा बनाम साइरस मिस्त्री (Tata vs Cyrus Mistry) विवाद पर सुप्रीम कोर्ट 2 दिसंबर को फाइनल सुनवाई करेगा. शापूरजी पालोनजी समूह ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जमा किए अपने बयान में कहा है कि टाटा सन्स प्रभावी रूप से दो समूहों की कंपनी है. टाटा ट्रस्ट्स, टाटा परिवार के सदस्यों और टाटा कंपनियों के पास इक्विटी शेयर कैपिटल की 81.6 फीसदी हिस्सेदारी है, वहीं मिस्त्री परिवार की 18.37 फीसदी.टाटा सन्स एक कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी और टाटा ग्रुप के लिए होल्डिंग कंपनी है. टाटा सन्स की वैल्यू लिस्टेड इक्विटीज, नॉन लिस्टेड इक्विटीज, ब्रांड, कैश बैलेंस और अचल संपत्तियों में इसकी हिस्सेदारी से निकलती है. टाटा सन्स में शपूरजी पालोनजी समूह की 18.37 फीसदी हिस्सेदारी की वैल्यू 1,75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
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टाटा ग्रुप से अलग होने की अपनी स्कीम में शपूरजी पालोनजी समूह ने कहा है कि वैल्युएशन पर विवाद को सूचीबद्ध एसेट्स (जिनकी शेयर प्राइस वैल्यू पता हो) के प्रो राटा स्प्लिट और ब्रांड (ब्रांड वैल्युएशन पहले से टाटा द्वारा हो चुकी हो और पब्लिश की जा चुकी हो) के प्रो राटा शेयर के जरिए दूर कर सकते हैं. नेट डेट के लिए एडजस्ट किए गए गैर सूचीबद्ध एसेट्स के मामले में एक तटस्थ थर्ड पाटी वैल्युएशन किया जा सकता है. नॉन-कैश सेटलमेंट के तौर पर शपूरजी पालोनजी समूह ने ऐसी लिस्टेड टाटा एंटिटीज में प्रो राटा शेयरों की मांग की है, जिनमें टाटा सन्स की फिलहाल हिस्सेदारी है. उदाहरण के तौर पर TCS में टाटा ग्रुप की हिस्सेदारी 72 फीसदी है.शापूरजी पालोनजी समूह की टाटा सन्स में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी TCS में 13.22 फीसदी शेयरहोल्डिंग में ट्रान्सलेट होती है. आगे कहा गया कि नेट डेट के लिए एडजस्टेड ब्रांड वैल्यू के प्रो राटा शेयर को कैश और/या लिस्टेड सिक्योरिटीज में सेटल किया जा सकता है.गैर सूचीबद्ध कंपनियों के लिए दोनों समूहों की ओर से चुने गए वैल्युर से शीघ्र मूल्यांकन कराया जा सकता है. यह कैश और/या लिस्टेड सिक्योरिटीज में सेटल किया जा सकता है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह और साइरस मिस्त्री को अगली सुनवाई तक टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड (टीएसपीएल) के शेयरों को गिरवी रखने या स्थानांतरित करने से रोक दिया है.- साथ ही चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने टाटा संस या एसपी समूह को उन शेयरों पर भी कोई कदम नहीं उठाने का आदेश दिया है, जो पहले ही गिरवी रखे जा चुके हैंण्
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टाटा समूह और एसपी समूह के बीच इन शेयरों को लेकर पिछले एक साल से विवाद चल रहा है.मिस्त्री परिवार के एसपी समूह की टीएसपीएल में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है और वो इस कंपनी का सबसे बड़ा माइनारिटी शेयर होल्डर है. पालोनजी मिस्त्री के बेटे साइरस मिस्त्री को 2012 में रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन चार साल बाद 2016 में उन्हें अचानक पद से हटा दिया गया था, तभी से उनकी टाटा समूह के साथ ठनी हुई है. टाटा समूह ने एसपी समूह की हिस्सेदारी खुद खरीदने का प्रस्ताव दिया था, जिसके लिए मिस्त्री परिवार तैयार नहीं है. इसके बाद टाटा समूह ने 5 सितंबर को एसपी समूह को अपने हिस्से के शेयर बेचने या गिरवी रखने से रोकने के लिए शीर्ष अदालत की शरण ली थी.चीफ जस्टिस की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दोनों पक्षों की बात सुनी. एसपी समूह के वरिष्ठ वकील सी. सुंदरम ने शेयर गिरवी रखने से रोकने को अपने मुवक्किल के लिए बरबादी जैसा करार दिया, इस पर टाटा संस के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि टीएसपीएल को नकदी संकट से जूझ रहे शापूरजी पालोंजी समूह की 18 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार है, लेकिन एसपी समूह इन्हें गिरवी रखकर कर्ज का भुगतान करना चाहता है. टाटा समूह को लगता है कि ऐसा करने में जोखिम है, इससे ऐसे निवेशकों के हाथ शेयर लग सकते हैं जो आगे चलकर कंपनी के हितों के खिलाफ काम कर सकते हैं.
इससे पहले टीएसपीएल ने शीर्ष अदालत को बताया था कि वह दो समूह वाली कंपनी नहीं है और न ही उनके व साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच कोई ‘अर्द्ध साझेदारी' है. शीर्ष अदालत ने 10 जनवरी को टाटा समूह को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 18 दिसंबर के आदेश के खिलाफ राहत दी थी, जिसमें साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा संस का एक्जीक्यूटिव चेयरमैन पद पर तैनात करने का निर्देश दिया गया था.साथ ही टाटा संस को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में बदलने को भी गलत बताया था. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने चार सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित करते हुए उन्हें यथास्थिति बनाने रखने का निर्देश दिया है. एसपी समूह की योजना विभिन्न फंड के जरिये मार्केट से 11 हजार करोड़ रुपये जुटाने की है. एसपी ग्रुप की मुख्य होल्डिंग कंपनी शापूरजी पालोंजी पर फरवरी के अंत तक 9280 करोड़ रुपये (1.3 अरब डॉलर) का कर्ज था, जबकि पूरे ग्रुप पर मार्च 2019 तक 30,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज था. उन्होंने एक कनाडाई निवेशक के साथ टाटा संस में अपनी 18.37 फीसदी हिस्सेदारी में से कुछ हिस्सा बेचकर 3750 करोड़ रुपये जुटाने की डील की थी. कंपनी की 18.37 फीसदी हिस्सेदारी की देश के सबसे बड़े बिजनेस समूह में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये है.
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